कई महिलाएं अपने पीरियड्स की तारीख को आगे बढ़ाने के लिए पीरियड्स डिले पिल्स का उपयोग करती हैं. जैसे कि किसी शादी, पूजा-पाठ या यात्रा के दौरान अपने पीरियड्स होने के कारण महिलाओं को बहुत असुविधा होती है. पीरियड्स के समय में कपड़ों पर खराब होने, ऐंठन और पेट दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इससे बचने और उन खास मौकों का आनंद लेने के लिए कई महिलाएं पीरियड्स डिले पिल्स को लेती है. ताकि उनकी पीरियड्स की तारीख आगे बढ़ जाए. ये गोलियां पीरियड्स को कुछ दिनों या हफ्तों के लिए टालने में मदद करती हैं. आइए जानते हैं एक्सपर्ट से कि यह कितना सही है. 


हारमोन संतुलन बिगड़ सकता है 
एक्सपर्ट के माने तो पीरियड्स डिले पिल्स शरीर के नैसर्गिक हार्मोनल चक्र को बाधित करती है. दरअसल, महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन नियमित रूप से बनते और खत्म होते रहते हैं. यहीं चक्र मासिक धर्म को नियंत्रित करता है. लेकिन पीरियड्स डिले पिल्स इस चक्र को रोक देती हैं. परिणामस्वरूप, हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है और शरीर में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन का स्तर असामान्य रूप से बढ़ या घट सकता है. इससे मूड स्विंग, डिप्रेशन, वजन बढ़ना या थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं. 




सिरदर्द और मिचली
इस दवा का इस्तेमाल काफी लोग करते हैं. लेकिन इस दवा के कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. इनमें सिरदर्द और उल्टी-मतली प्रमुख हैं.कई महिलाओं को पीरियड्स डिले पिल्स खाने के बाद सिरदर्द की समस्या हो जाती है. कुछ लोगों को मतली और उल्टी भी आ सकती है. अगर ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. 


लीवर पर असर 
पीरियड्स डिले पिल्स लेने से लीवर को नुकसान हो सकता है. दरअसल ये गोलियां शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव लाती हैं जो लीवर के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं. जब इन गोलियों का लगातार और लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाता है तो लीवर पर इसका बुरा असर पड़ सकता है. पीरियड्स डिले पिल्स लीवर में सूजन और दर्द का कारण बन सकती हैं. यही नहीं, ये गोलियां लीवर के कोशिकाओं को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं. 


फर्टिलिटी पर असर 
पीरियड्स डिले पिल्स का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से महिलाओं की फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है. दरअसल, ये दवाएं शरीर के नैसर्गिक हार्मोनल बैलेंस को बाधित करती हैं. लगातार लेने से अंडाशयों को नुकसान पहुंच सकता है और ओव्यूलेशन प्रक्रिया भी प्रभावित होती है. इसके कारण भविष्य में गर्भ धारण करने में परेशानी, गर्भपात या गर्भावस्था से संबंधित जटिलताएं हो सकती हैं.
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