डायबिटीज एक क्रोनिक कंडीशन है जिसमें लगातार ब्लड शुगर को मैनेज की आवश्यकता होती है. अनकट्रोल शुगर लेवल शरीर के विभिन्न अंगों को नेगेटिव रूप से प्रभावित करना शुरू कर देता है. यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं तो नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल की जांच करना जरूरी है.
रेगुलर जांच से आपको यह समझने में मदद मिलती है कि आप जो डाइट और जीवनशैली अपना रहे हैं, वह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक है या नहीं. इन दिनों घर पर ब्लड शुगर लेवल के स्तर की जांच की जा सकती है. इसके लिये आमतौर पर ग्लूकोमीटर का उपयोग किया जाता है. लेकिन घर पर ब्लड शुगर के लेवल को मापते समय कई बार कई गलतियां हो जाती हैं. इन गलतियों से बचने से आपको जांच के सटीक रिजल्ट मिल सकते हैं. ब्लड शुगर की जांच करते समय इन गलतियों से बचा जाना चाहिये.
भोजन के बाद जांच
भोजन करने के बाद यदि आप शुगर का लेवल जांचते हैं तो वह बढ़ा हुआ आ सकता है. सही जांच के लिये ब्रेकफास्ट या खाना खाने के कम से कम दो घंटे के बाद ही जांच करनी चाहिये.
जांच का समय
शुगर लेवल के अधिक सटीक रिजल्ट के लिये दिन भर में अलग-अलग समय पर टेस्ट करना अच्छा रहता है. क्योंकि बहुत सारे पर्यावरण और शारीरिक कारक समय के अनुसार बदलते रहते हैं.
सिर्फ एक ही उंगुली पर न करें टेस्ट
सबसे आम गलतियों में से एक गलती यह है कि शुगर लेवल टेस्ट के लिए एक ही उंगली का उपयोग हर दिन और बार-बार किया जाता है. ऐसा करने से दर्द हो सकता है या मामूली चोट भी लग सकती है. इसलिये टेस्ट के उंगलियों को बदलते रहना चाहिये.
एक नीडल का एक बार ही इस्तेमाल
प्राय यह देखा गया है कि कई मरीज पांच से छह टेस्ट के लिए एक ही सुई(नीडल) का इस्तेमाल करते हैं या अधिक समय तक इसे बदलने से बचते हैं. यह संक्रमण की संभावना को कई गुना बढ़ा सकता है. इसलिये एक नीडल का एक बार ही इस्तेमाल करना चाहिये.
सुई की गहराई
टेस्ट के लिए उपयोग किए जाने वाले लांसिंग डिवाइस सुई की गहराई के साथ आते हैं जिन्हें आपकी उंगलियों पर त्वचा की मोटाई के अनुसार बदला जा सकता है. सही डेप्थ के लिए सुई को 3-4 के बीच सेट किया जाना चाहिये.
सैनिटाइजेशन
आप जिस उंगली पर टेस्ट करने जा रहे हैं, उसे साफ और संक्रमण मुक्त रखने के लिये सैनिटाइज करें. जब आप उंगली को सैनिटाइज कर लेते हैं तो टेस्ट की जल्दी नहीं करें. टेस्ट से पहले त्वचा की सतह से स्प्रिट सूख जाने का वैट करें.
शुगर लेवल के बीच वेरिएशन
ब्लड शुगर लेवल के ग्लूकोमीटर और लैब टेस्ट की रीडिंग के बीच एक स्वीकार्य वेरिएशन है. इसलिए अगर सभी पॉसिबल नॉर्म का पालन करने के बाद भी रीडिंग में अंतर है तो आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है.
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