नई दिल्ली: बच्चे ही नहीं बल्कि 30 पर्सेंट बड़े लोग भी मोटापे का शिकार हो रहे हैं. इंडिया में डायजेस्टिव सिस्‍टम सिंड्रोम की समस्‍या बढ़ रही है. इस सिंड्रोम में टमीनिकलना, हाई ट्रिग्लिसाइड, लो कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और हाई शुगर की प्रॉब्‍लम ज्‍यादा हो रही है.

मोटापा यानि हार्ट प्रॉबलम्‍स-

पुरुषों में 90 सेंटीमीटर और महिलाओं में 80 सेंटीमीटर से अधिक कमर इस बात का संकेत है कि वे हार्ट अटैक के खतरे की चपेट में हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि कोई व्यक्ति तब भी मोटापे से पीड़ित हो सकता है, जब उसका वजन कंट्रोल में हो. पेट के आसपास जमी एक्‍ट्रा चर्बी हार्ट प्रॉब्‍लम्‍स का खतरा डेढ़ गुना बढ़ा देती है.

क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट-

आईएमए के अध्यक्ष के. के. अग्रवाल का कहना है कि आम तौर पर जब कद बढ़ना बंद हो जाता है तो दूसरे अंगों का विकास भी रुक जाता है. हार्ट, किडनी और लंग्‍स का वजन उसके बाद नहीं बढ़ता. उसके बाद मांसपेशियां ही बनती हैं और शरीर का वजन केवल चर्बी जमा होने से बढ़ता है.

टमी फैट बढ़ता है रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट्स से -

डॉ. के. के. अग्रवाल कहते हैं कि 20 साल के बाद लड़कों और 18 साल के बाद लड़कियों का वजन पांच किलो से ज्यादा नहीं बढ़ना चाहिए. पेट का मोटापा रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट्स के सेवन से जुड़ा हुआ है न कि मांस से प्राप्त चर्बी से. सामान्य मोटापा मांस की चर्बी से होता है. सफेद चावल, मैदा और चीनी रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट्स में आते हैं. भूरी चीनी, सफेद चीनी से बेहतर है.

वजन कम होगा तो नहीं होंगी ये समस्‍याएं-

वे आगे कहते हैं कि रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट्स बुरे काबोर्हाईड्रेट्स होते हैं और मांस की चर्बी बुरी चर्बी होती है. ट्रांस फैट और वनस्पति घी सेहत के लिए बुरा होता है. ट्रांस फैट बुरे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है और अच्छे को कम करता है. वजन कम होने से खर्राटे कम होते हैं, आर्थराइटिस का दर्द कम होता है, ब्लड प्रेशर और अनियंत्रित डायबिटीज नियंत्रित होते हैं.

बच्चों में मोटापे के खतरे :

  • हाईपरटेंशन और हाई कोलेस्ट्रोल, जो गंभीर दिल के रोगों का कारण हैं.

  • शरीर में ग्लूकोज सहनशीलता का असंतुलन और इंसुलिन प्रतिरोधात्मकता

  • सांस के विकार, स्लीप एपनिया और दमा

  • जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों और हड्डियों के विकार

  • लीवर में सूजन और दिल की जलन

  • सामाजिक हीन भावना, आत्म-विश्वास में कमी और लगातार तनाव


कुछ अहम बातें:

  • सप्ताह में एक बार कार्बोहाईड्रेट्स से परहेज करें

  • मीठे आहार को कड़वे आहार से मिला कर लें जैसे आलू-मटर की जगह आलू-मेथी लें

  • सैर करें, सैर करें और सैर करें

  • हरी कड़वी चीजें खाएं, जैसे करेला, मेथी, पालक, भिंडी

  • वनस्पति घी या ट्रांसफैट बिल्कुल न खाएं

  • एक दिन में 80 एमएल से ज्याद सॉफ्ट ड्रिंक ना पिएं

  • 30 प्रतिशत से ज्यादा मीठे वाली मिठाईयां ना खाएं

  • मैदा, चावल और सफेद चीनी से बचें