(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पसीने से पता चालेगा आप कोरोना पॉजिटिव हैं या नहीं, साइंटिस्ट ने डेवलप किया इफेक्टिव 'बायोसेंसर'
कोरोना संक्रमण से भारत में अब तक 5,30,740 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि देश में एक्टिव मरीजों की संख्या 1783 है.
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (AU) के एक पूर्व छात्र ने दावा किया है कि उसने एक ऐसा बायोसेंसर डेवलप किया है, जो पसीने के सैंपल की मदद से कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगा सकता है. नोएडा के क्वांटा कैलकुलस में बतौर साइंटिस्ट कार्यरत 34 साल के अमित दुबे ने बताया कि उन्होंने कोविड-19 का पता लगाने के लिए बायोमेडिकल और बायोसेंसिंग एप्लीकेशन्स के लिए दुनिया का पहला स्पेसिफिक और भरोसेमंद अल्ट्रा-स्मॉल गोल्ड नैनोक्लस्टर को डेवलप किया है. उनके इस प्रयास से इफेक्टिव और चीप यानी सस्ती टेस्टिंग किट की उम्मीदें बढ़ गई हैं, जो किसी व्यक्ति के पसीने के सैंपल से कोविड संक्रमण का पता लगा सकती है.
ये रिसर्च हाल ही में विली द्वारा पब्लिश एक अमेरिकी मैगजीन 'ल्यूमिनेसिसेंस: द जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल एंड केमिकल ल्यूमिनसेंस' में छपी है. अपनी इस रिसर्च को शेयर करते हुए अमित दुबे ने कहा कि बायोसेंसर वन-स्टेप आइडेंटिफिकेशन या सेंसिंग टेक्नीक होगी. साइंटिस्ट ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस रिसर्च से सस्ते वाले बायोसेंसर की एक नई जनरेशन तैयार हो सकती है. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण से भारत में अब तक 5,30,740 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि देश में एक्टिव मरीजों की संख्या 1783 है. वहीं, कोविड से पीड़ित अभी तक 4,41,50,372 लोग ठीक हो चुके हैं.
2 अरब से ज्यादा लोगों का हुआ वैक्सीनेशन
लोगों को कोरोना से प्रोटेक्ट करने का काम कोरोना वैक्सीन ने किया है. पूरे भारत में चलाए गए कोरोना वैक्सीनेशन ड्राइव के तहत 2,20,51,13,973 लोगों का वैक्सीनेशन किया जा चुका है. जबकि पिछले 24 घंटों के दौरान 2,44,178 मरीजों को वैक्सीन लगाई है. हांगकांग में की गई एक स्टडी के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन की तीसरी खुराक यानी बूस्टर डोज़, दो खुराकों की तुलना में उन लोगों को मौत से 90 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करती है, जो लोग विभिन्न बीमारियों या स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं.
तीसरी डोज लगवाने वालों में मौत का खतरा कम!
कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में पब्लिश इस रिसर्च के मुताबिक, नवंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच तीसरी डोज़ लगवाने वाले 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों की तुलना केवल 2 डोज लेने वाले लोगों से की गई. इसमें पाया गया कि मल्टीमॉर्बिडिटी (एक से ज्यादा बीमारी) वाले लोगों में कोविड से संबंधित मौत का खतरा काफी कम था. इन्हें बूस्टर डोज़ के रूप में BNT162b2 वैक्सीन, mRNA वैक्सीन और कोरोनावैक मिली थी.
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