कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच लोग मानसिक तनाव झेलने को मजबूर, टेली मनोरोग परामर्श में 20 फीसद की वृद्धि
कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण समेत मौत के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. आए दिन संक्रमण के नए मामले देश भर में 3 लाख से ऊपर रह रहे हैं. कोरोना संकट के चलते पैदा हुई वित्तीय, चिकित्सकीय और आर्थिक समस्या लोगों की मानसिक सेहत को भी खराब कर रही है.
कोरोना वायरस की दूसरी लहर ज्यादा घातक साबित हो रही है. ये ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रही है और ज्यादा जिंदगी को लील रही है. आर्थिक और शारीरिक समस्याओं की वजह बनने के अलावा, उसने लोगों को मानसिक तौर पर भी प्रभावित किया है. महामारी ने उनके दिमाग में खौफ पैदा कर दिया है. अपने वर्तमान और भविष्य के बारे में अनिश्चितता, घर पर रहने के सरकारी आदेश ने मिलकर मानसिक बीमारी को और बिगाड़ दिया है.
कोरोना की दूसरी लहर ने बढ़ाई मानसिक सेहत की समस्या
विशेषज्ञों के मुताबिक घर पर बंद होने का एहसास, अपने परिचितों से दूर, सामाजिक समर्थन से महरूम और नए वेरिएन्ट्स का डर मानसिक बीमारी को बढ़ा रहा है. फोर्टिस हेल्थकेयर से जुड़े डॉक्टर समीर पारेख कहते हैं, "मौजूदा हालात वर्तमान और भविष्य की अनिश्चितता, परिजनों के शारीरिक स्वास्थ्य, काम और उत्पादकता को प्रभावित कर रहे हैं." हालांकि वर्तमान परिस्थिति उनकी उम्र, लिंग या अन्य जनसांख्यिकीय के बावजूद हर किसी को प्रभावित कर रही है. उसके चलते किशोरों और वयस्क मानसिक सेहत की समस्याओं के लिए मदद तलाश करने पहुंच रहे हैं. लोगों की सबसे प्रमुख समस्या चिंता और डिप्रेशन है. बच्चे अपने भविष्य के मंसूबों को लेकर ज्यादा तनावग्रस्त हैं, जिसके नतीजे में अस्तित्व संबंधी संकट पैदा हो गया है. व्यस्क वित्तीय असुरक्षा और नौकरी की सुरक्षा के डर से दब गए हैं. इन खौफ को कोविड की चिंता या महामारी की चिंता से जोड़ा जा सकता है.
अप्रैल के शुरू से टेली मनोरोग परामर्श में 20 फीसद की वृद्धि
मनिपाल हॉस्पीटल बेंगलुरू में डॉक्टर सतीश कुमार का कहना है कि अप्रैल की शुरुआत से टेली मनोरोग परामर्श में कम से कम 20 फीसद की वृद्धि हो गई है. लोगों को डर है कि उनकी जिंदगी खत्म होने जारी है, जिससे उनकी मौत की चिंता के मुद्दे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा, "लोग स्प्रेडर होने और अपने परिजनों को नुकसान पहुंचाने की वजन बनने को लेकर भी चिंतित हैं. अब ये मेडिकल सहायता के लिए पहुंच रहे हैं क्योंकि उन्हें बहुत ज्यादा भावनात्मक मुद्दों का सामना है." कुमार के मुताबिक, स्थिति से निपटने का एकमात्र तरीका आशावादी दृष्टिकोण रखना और मंत्र को दोहराना है कि 'ये भी वक्त गुजर जाएगा.'
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