Air Pollution Impact: दिल्ली-एनसीआर में हर साल दिवाली के बाद वायु प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच जाता है. इस वजह से लोगों को सांस की कई तरह की बीमारियों से जूझना पड़ता है. सर्दियों में अक्सर ही लोगों को वायु प्रदूषण के चलते अपने घर की चार दीवारियों के बीच कैद होना पड़ जाता है. वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनडोर एयर क्वालिटी भले ही आउटडोर एयर क्वालिटी से पहली नजर में बेहतर लगे, लेकिन ये पांच गुना ज्यादा खतरनाक हो सकती है. आमतौर पर इनडोर और आउटडोर वायु प्रदूषण को अक्सर दो अलग-अलग चीजों के तौर पर देखा जाता है.
हालांकि, बाहर की गंदी हवा जैसे कि गाड़ी से निकलने वाला धुआं, पोलेन और छोटे कण हमारे घर और ऑफिसों के भीतर प्रवेश कर जाते हैं. ये भी बाहरी खराब हवा की तरह ही हानिकारक होता है. गुरुग्राम के आर्टेमिस अस्पताल में न्यूरो इंटरवेंशनल सर्जरी और को-चीफ स्ट्रोक यूनिट के प्रमुख डॉ विपुल गुप्ता के मुताबिक, इनडोर वायु प्रदूषण आउटडोर वायु प्रदूषण से भी ज्यादा बदतर है, क्योंकि ये एक सीमित क्षेत्र में होता है और इसके बाहर निकलने का रास्ता नहीं होता है. ऐसे में ये शरीर को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.
इनडोर प्रदूषण की वजह
डॉ गुप्ता ने आगे कहा, 'इमारतों के अंदर मौजूद हानिकारक धूल, गंदगी और गैसें हृदय रोगों, पुरानी फेफड़ों की बीमारियों और कई संक्रमणों जैसी कई स्वास्थ्य चिंताओं से जुड़ी हैं.' इनडोर वायु प्रदूषण के पीछे मुख्य कारण हवा में मौजूद गैसों या कणों को जाना जाता है. बिल्डिंग बनाने के लिए मटेरियल, तंबाकू का धुआं, लकड़ी से जलने वाले स्टोव जैसे पदार्थ इनडोर प्रदूषण का कारण बनते हैं. एक बार अंदर जाने के बाद वे गंदी हवा के साथ मिल जाते हैं और एक खतरनाक कॉकटेल तैयार करते हैं, जो हानिकारक होता है.
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी डायसन के सीनियर इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर जिंजर ली ने बताया, 'इनडोर हवा को खराब करने वाले प्रदूषक जैसे जलती हुई लकड़ी या खाना पकाने का धुंआ वेंटिलेशन के जरिए इमारतों से बाहर चला जाता है.' उन्होंने बताया, 'उदाहरण के लिए, एयर फ्रेशनर और डिओडोरेंट में वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (VOCs) और बेंजीन शामिल हो सकते हैं. जबकि सफाई वाले प्रोडक्ट्स में बेंजीन और अन्य घरेलू धुंआ शामिल होता है.'
ये भी पढ़ें: Surajkund Mela 2023: 3 फरवरी से हो रहा भारत के सबसे बड़े मेले का आगाज, जानिए इस बार क्या होगा खास