H3N2 Virus: बदलते मौसम में खांसी होना आम बात है. लेकिन अगर आप लंबे वक्त से खांसी से परेशान हैं, सिरप और दवाई लेने के बावजूद खांसी है कि रुकने का नाम नहीं ले रही है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है. क्योंकि ये कोई नॉर्मल खांसी नहीं है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ( ICMR) ने पुष्टि की है कि देश में तेज, बुखार और खांसी का मौजूदा प्रकोप इनफ्लुएंजा ए, एच3एन2 ( H3N2) वायरस के कारण है.आईसीएमआर ( ICMR)के मुताबित ये अन्य वायरस की तुलना में ज्यादा प्रभावी है.इससे पीड़ित लोग तेजी से अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं.


H3N2 वायरस के लक्षण


आपको बता दें कि आईसीएमआर ( ICMR),  देश भर में अपने वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरीज के नेटवर्क के जरिए वायरस से होने वाली बीमारियों पर नजर बनाएं रखता है.आईसीएमआर में महामारी विज्ञान की प्रमुख डॉ निवेदिता के मुताबिक 15 दिसंबर से अब तक 30 वीआरडीएलएस के डाटा ने इंफ्लूएंजा ए एच2एन2 ( H3N2) के मामलों की संख्या में तेजी रिकॉर्ड की है. ICMR के मुताबिक अस्पताल में भर्ती ए3एन2 ( H3N2) मरीजों में 92 फ़ीसदी मरीजों में बुखार, 86 फ़ीसदी मरीजों को खांसी, 27 फ़ीसदी को सांस फूलना, 16 फ़ीसदी को घबराहट की समस्या देखी गई. इसके अलावा आईसीएमआर ने निगरानी में पाया गया कि ऐसे ही 16 फ़ीसदी रोगियों को निमोनिया था और 6 फ़ीसदी लोगों को दौरे पड़ते थे. आईसीएमआर के मुताबिक ( H3N2) वायरस से पीड़ित पेशेंट में से लगभग 10 फ़ीसदी रोगियों को ऑक्सीजन की जरूरत होती है और 7 फ़ीसदी को आईसीयू में देखभाल की जरूरत होती है.


 






अंधाधुन एंटीबायटिक के इस्तेमाल से बचें : IMA


आईसीएमआर के मुताबिक एच3एन2 ( H3N2) वायरस की चपेट में आने वालों को हाई फीवर हो सकता है. ठंड और कपकपी हो सकती है. तेज बुखार आता है और लगातार खांसी बनी रह सकती है. ये खांसी आम नहीं है ये कई दिनों तक परेशान कर सकती है. इस में खराश से लेकर आवाज में खरखराहट हो सकती है. IMA के मुताबक इस समस्या से पीड़ित लोगों को एंटीबायटिक के ज्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए और डॉक्टर के संपर्क में बने रहना चाहिए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टरों को इसके लिए एंटीबायोटिक लिखने से परहेज करने को कहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च के आखिर या अप्रैल के पहले हफ्ते में वायरस का असर कम होने की संभावना है. क्योंकि इसी वक्त से तापमान में बढ़ोतरी शुरु हो जाती है


ऐसे करें बचाव



  •  नियमित रूप से हाथ धोने और सार्वजनिक जगह पर हाथ मिलाने और थूकने से बचे

  • आंख और नाक को छूने से बचें

  • खांसते समय मुंह पर और नाक को कवर कर लें.

  • घर से बाहर निकलते वक्त मास्क का लगाना जरूरी है.

  • प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचें

  • तरल पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें.

  • बॉडी पेन या बुखार होने पर पेरासिटामोल लें 


हर साल इतने लाख मामले आते हैं


आपको बता दें कि यह कोई नया वायरस नहीं है. ये दशकों से मौजूद है. डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक वैश्विक स्तर पर हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा के कारण 30 से 50 लाख मामले सामने आते हैं, जिनमें से 2.9 लाख से 6.55 लोगों की मौत सांस की बीमारी के कारण होती है. संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य निकाय के मुताबिक बीमारी को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है.