Epilepsy Cause And Treatment: मिर्गी यानी इपिलेप्सी एक गंभीर समस्या है. एक्सपर्ट्स की मानें तो हर 1 हजार लोगों में से 14 लोगों को ये समस्या होती है. मिर्गी एक ऐसी दिक्कत है, जिसमें लोग अपने आपको सीमित और बंधा हुआ महसूस करने लगते हैं. क्योंकि जिन्हें ये समस्या होती है, वे खुद भी और उनके परिवार वाले भी इन्हें घर से बाहर अकेले भेजने में डरते हैं. हर साल 'फरवरी के दूसरे सोमवार को वर्ल्ड इपिलेप्सी डे' के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. दुनिया के 130 देश इस दिन इस गंभीर समस्या को लेकर जागरूकता दिवस के रूप में मनाते हैं. इस साल इपिलेप्सी डे, सोमवार 13 फरवरी को मनाया जा रहा है.


इस बीमारी के संबंध में हमने बात की अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरॉलजी डिपार्टमेंट के सीनियर डॉक्टर पी.एन.रंजन से. बातचीत के दौरान डॉक्टर रंजन ने मिर्गी के बारे में बहुत ही आसान भाषा में ऐसी जानकारियां दीं जिन्हें जानना हम सभी के लिए जरूरी है. क्योंकि मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र में ट्रिगर हो सकती है...


क्यों होती है मिर्गी की बीमारी?


सबसे पहले तो ये क्लीयर कर लीजिए कि मिर्गी एक बीमारी नहीं बल्कि डिसऑर्डर है. एक न्यूरॉलजिकल डिसऑर्डर. जो जेनेटिक्स के साथ ही और भी कई कारणों से ट्रिगर होता है. लेकिन अनुवांशिकता इसका एक बड़ा कारण है. जबकि इसके अन्य कारणों में ये प्रमुख हैं...



  • सिर में चोट लगना

  • ब्रेन ट्यूमर

  • स्ट्रोक होना

  • मानसिक बीमारी होना, जैसे अल्जाइमर या डिमेंशिया

  • पैरालिसिस के कारण

  • मेनिन्जाइटिस, एड्स या वायरल इंसेफेलाइटिस जैसे संक्राम रोग.

  • प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ में चली चोट या आघात

  • प्रेंग्नेंसी के दौरान मां को हुआ कोई इंफेक्शन

  • प्रेग्नेंसी के दौरान पोषण की कमी या ऑक्सीजन की कमी होना.


किस उम्र में होती है मिर्गी की समस्या?



  • मिर्गी का रोग आमतौर पर बचपन में ही शुरू हो जाता है लेकिन युवावस्था और इसके बाद भी ये रोग ट्रिगर हो सकता है. 

  • बच्चों में आमतौर पर हाई फीवर के कारण ये रोग ट्रिगर हो जाता है तो सिर में लगी चोट या फिर ब्रेन ट्यूमर भी इसकी वजह हो सकते हैं.

  • मिर्गी की समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में अधिक देखने को मिलती है. इसकी बड़ी वजह है न्यूट्रिशन और बैलेंस डायट की कमी और बीमारी को लेकर सही जानकारी का अभाव.


मिर्गी का इलाज क्या है?



  • मिर्गी कई तरह की होती है और इसके प्रकार के आधार पर ही इसका इलाज किया जाता है. जैसे, जेनेटिक्स संबंधी कारणों से होने वाली मिर्गी की बीमारी का इलाज, ट्यूमर के कारण होने वाली मिर्गी से कई मामलों में अलग होता है. 

  • अपने लंबे अनुभव के आधार पर इलाज के बारे में डॉक्टर रंजन का कहना है कि यदि सही समय पर डायग्नॉज करके सही से इलाज किया जाए तो 60 से 70 प्रतिशत मरीजों में मिर्गी को पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है.

  • मिर्गी के इलाज के लिए इसके प्रकार के आधार पर दवाओं और मेडिकल थेरपीज का यूज किया जाता है. सही समय पर सही ट्रीटमेंट लेने वाले रोगी सिर्फ एक गोली के साथ अपनी लाइफ को पूरी तरह नॉर्मल बनाए रख सकते हैं.


इपिलेप्सी के ट्रिगर फैक्टर क्या हैं?


यदि अनुवांशिक तौर पर किसी को मिर्गी की समस्या हो या किसी भी अन्य कारण के चलते ये बीमारी हुई हो तो दवाओं के माध्यम से लाइफ को नॉर्मल किया जा सकता है. लेकिन यदि सही लाइफस्टाइल और कुछ खास फैक्टर्स पर ध्यान ना दिया जाए तो ये बीमारी फिर से ट्रिगर हो सकती है... 



  • नींद की कमी

  • तेज बुखार

  • तेज लाइट्स 

  • स्विमिंग

  • एल्कोहॉल


क्या मिर्गी से मानसिक विकास रुक जाता है?


डॉक्टर रंजन का कहना है कि सही इलाज के साथ मिर्गी किसी भी तरह से लर्निंग अबेलिटीज को कम नहीं करती है. लेकिन यदि बीमारी पर ध्यान ना दिया जाए, लगातार फिट्स आते रहें और साइकॉलजिकल डिसऑर्ड्स भी हो जाएं उस स्थिति में सीखने संबंधी समस्या हो सकती है. नहीं तो मिर्गी की बीमारी से पीड़ित एक इंटेलिजेंट बच्चा हमेशा इंटेलिजेंट ही रहता है और लाइफ को बहुत ही नॉर्मल तरीके से इंजॉय करते हुए बाकी बच्चों की तरह करियर में आगे बढ़ सकता है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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