ममता का सुख हासिल करना किसी की जिंदगी में बदलाव का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है. महिलाओं के लिए प्रेगनेन्सी भावनात्मक, आर्थिक और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है. उनको मानसिक और आर्थिक रूप से मजबूत होना पड़ता है. मानसिक रूप से फिट रहने पर महिला प्रेगनेन्सी और जन्म के बाद की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सही स्थिति में होगी. आर्थिक रूप से मजबूत रहने पर आसानी से प्रेगनेन्सी के दौरान और उसके बाद की दुश्वारियों का सामना किया जा सकता है.
मैटरनिटी इंश्योरेंस नियमित स्वास्थ्य पॉलिसी का हिस्सा नहीं
ऐसी स्थिति में, मैटरनिटी इंश्योरेंस के साथ हेल्थ पॉलिसी सहायक हो सकती है. हालांकि, मैटरनिटी इंश्योरेंस डिफॉल्ट रूप से आपकी नियमित स्वास्थ्य पॉलिसी का हिस्सा नहीं है. अलबत्ता, कुछ बीमाकर्ताओं ने व्यापक हेल्थ पॉलिसी के तौर पर मैटरनिटी इंश्योरेंस देना शुरू कर दिया है, कई उसे पॉलिसी में ऐड-ऑन के रूप में पेश करते हैं. इस तरह, पॉलिसी की विशेषताओं की जांच किए बिना कई लोग ये सोचकर हेल्थ पॉलिसी खरीदते हैं कि मैटरनिटी की सुविधा पॉलिसी का हिस्सा है.
लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिए कि मैटरनिटी इंश्योरेंस प्रेगनेन्सी से जुड़े सभी तरह के खर्चों के लिए पॉलिसी की अवधि मौजूद होने तक कवरेज प्रदान करता है. ज्यादातर बीमा कंपनियां प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर खर्च और नवजात शिशु के खर्च भी प्रदान करती हैं. प्रसव खर्च का मतलब अल्ट्रासाउंड से संबंधित मेडिकल खर्च, डॉक्टर की फीस, दवाएं, नियमित जांच आदि हैं. ये आपकी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत डिफॉल्ट कवरेज के रूप में शामिल नहीं होता है, बल्कि कुछ हेल्थ पॉलिसी के लिए एक ऐड-ऑन सुविधा के रूप में आता है.
बीमाकर्ता प्रेगनेन्सी को पहले से मौजूद स्थिति के रूप में मानते हैं
रेन्यूबाय के सह-संस्थापक इंद्रनील चटर्जी का कहना है कि आजकल प्रसव एक महंगा मामला है. मानक प्रसव या सिजेरियन सेक्शन का खर्च 40,000 से 2 लाख तक हो सकता है. उन्होंने कहा, "एक नियमित स्वास्थ्य पॉलिसी मातृत्व देखभाल और प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर इलाज का भारी खर्च सहन करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. इसमें डॉक्टर, अस्पताल में भर्ती का बुनियादी शुल्क शामिल होंगा, जो उपभोक्ताओं के उद्देश्य को हल नहीं करेगा.
इसलिए, बीमा कंपनियों ने मैटरनिटी इंश्योरेंस को एक अलग कवर के रूप में पेश किया है ताकि शुरू से अंत तक इलाज का खर्च बर्दाश्त किया सके और सुनिश्चित कर सकें कि उपभोक्ताओं के लिए प्रेगनेन्सी की पूरी प्रक्रिया में आराम हो." उसके अलावा, आपको ये भी जानकारी रखनी चाहिए कि प्रेगनेन्ट होने के बाद पॉलिसी का लाभ उठाने पर ज्यादातर बीमा कंपनियां मैटरनिटी आधारित बीमा नहीं देती हैं. प्रोबस इंश्योरेंस के डायरेक्टर राकेश गोयल बताते हैं कि कई बीमाकर्ता प्रेगनेन्सी को पहले से मौजूद स्थिति के तौर पर मानते हैं और सिर्फ तीन से चार साल की प्रतिक्षा अवधि के बाद ही उसे कवर जाता है. इसलिए, प्रेगनेन्ट होने पर मैटरनिटी कवरेज नहीं मिल सकता.