Malnutrition And Covid-19: कुपोषण का मतलब विटामिन्स और मिनरल्स के अपर्याप्त सेवन से कुपोषित होना है. भारत में करीब 189.2 लोग कुपोषित हैं, जिसमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. कुपोषण शरीर को कमजोर बनाता है और आपको बार-बार बीमारी के जोखिम में डालता है. जरूरी पोषक तत्वों और विटामिन्स की कमी से आपका इम्यून सिस्टम कमजोर और शरीर कई संक्रमण के लिए संवेदनशील हो जाता है. एक तरफ, वर्तमान महामारी में कुपोषित शख्स को संक्रमित होने का ज्यादा जोखिम है और ऐसा देखने में भी आ रहा है. 


कुपोषण और कोविड-19 के बीच क्या कोई है संबंध?


दूसरी तरफ, महामारी खुद कुपोषण को बढ़ाने का एक अप्रत्यक्ष कारण भी है. कोरोना महामारी बेरोजगारी, सीमित स्वास्थ्य के संसाधन, महंगाई की शक्ल में कई चुनौतियां लेकर आई है. ये सभी कमजोर वर्ग को बुनियादी आवश्यकताओं जैसे हेल्दी फूड में कमी का कारण बनते हैं और उनको ज्यादा असहाय बनाते हैं. 2015-2016 के सरकारी आंकड़ों से पता चला कि 15-29 आयु ग्रुप में 22.9 फीसद महिलाएं कम वजन की थीं जबकि पुरुषों में ये आंकड़ा 20.2 फीसद पाया गया. महामारी ने भारत की खाद्य सुरक्षा, उपलब्धता, स्थिरता और उपयोगिता को प्रभावित किया है. इससे महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या और बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है. निम्न वर्ग और कमजोर ग्रुप सरकारी सेवाओं पर, विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए अधिक निर्भर है. महामारी ने निजी और सार्वजनिक सेक्टर की हेल्थकेयर सेवाओं में बाधा पहुंचाया है. रिसर्च के मुताबिक, सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ता, कुपोषण के कारण 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.


कुपोषण की समस्या से कैसे निपटा जा सकता है?   


टीकाकरण को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है और ये संक्रमण की गंभीरता को कम करता है. 
वैक्सीन समेत कमजोर ग्रुप को बुनियादी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना जारी रखें.
मां को बुनियादी मिनरल्स और विटामिन्स सप्लीमेंट्स देना सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
स्कूलों के मिड डे मील को विटामिन्स और मिनरल्स के साथ फोर्टिफाइड किया जाना चाहिए. 
स्वच्छता, सफाई और महामारी के प्रोटोकॉल से संबंधित जागरुकता पैदा किया जाना चाहिए.


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