क्या गंदे कपड़े पहनना डिमेंशिया का शुरुआती लक्षण है? जानिए क्या कहती है नई स्टडी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग ने नहाने में कठिनाई, गंदे कपड़े पहनने सहित साफ सफाई के मामले में बदलाव को डिमेंशिया के शुरुआती लक्षणों में शामिल किया है.
Symptom Of Dementia: मेमोरी लॉस,अल्जाइमर और डिमेंशिया के शुरुआती लक्षणों में से एक माना जाता है. हालांकि यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग ने माइल्ड अल्जाइमर के लक्षणों के रूप में नहाने में कठिनाई और गंदे कपड़े पहनने के साथ ही साफ सफाई में बदलाव को भी शामिल कर दिया है. विशेषज्ञों ने मूड स्विंग,खराब डिसीजन लेना,भटकाव सहित कुछ कॉमन पर्सनेलिटी और बिहेवियर में बदलाव को इसमें शामिल किया है.
पर्सनेलिटी और बिहेवियर में बदलाव की सूची
- बहुत जल्दी अपसेट हो जाना
- बहुत जल्दी गुस्सा आना
- डिप्रेशन में रहना
- चीजों में दिलचस्पी नहीं लेना
- चीजों को छुपाना
- उन चीजों की कल्पना करना जो है ही नहीं
- घर से दूर भटकना
- खुद को या अन्य लोगों को मारना
- आप जो देखते या सुनते हैं उसे गलत समझना
- असामान्य यौन व्यवहार करना
शोध में डिमेंशिया से जुड़ी इस बात का हुआ खुलासा
2018 में हुए एक अध्ययन में यह भी सामने आया है कि डिमेंशिया के रोगी ये नहीं पहचान सकते कि उनके कपड़े गंदे हैं, शोध में यह भी पता चलता है कि जो लोग डिमेंशिया के शिकार हैं उनके कपड़ों पर दाग धब्बे लगे होने के बावजूद भी वह उसे इग्नोर करते हैं और कपड़े बदलने की जरूरत ही नहीं समझते.पर्सनल हाइजीन की कमी डिमेंशिया के लक्षणों में से एक है , ऐसे लोग चाहते ही नहीं है कि वो नहाएं,कपड़े बदलें.. जैसे-जैसे रोग बढ़ती जाती है, मरीज मूत्राशय पर भी नियंत्रण खोने का भी अनुभव करता है. अक्सर ऐसे मरीज खुद को मल मूत्र से गंदा कर लेते हैं.न्यूरोलॉजिस्ट के मुताबिक अल्ज़ाइमर से पीड़ित लोगों में सजने-संवरने की दिलचस्पी भी कम हो जाती है. “अच्छे और आकर्षक दिखने की इच्छा कम हो जाती है; क्योंकि वे अच्छे दिखने के महत्व को पूरी तरह से नहीं समझते हैं. अल्जाइमर से पीड़ित कुछ लोग डिप्रेशन जैसे मूड डिसऑर्डर से भी पीड़ित होते हैं और इसकी वजह से साफ और इस्त्री किए हुए कपड़े पहनने में उनकी रुचि कम हो जाती है”
क्या है डिमेंशिया?
डिमेंशिया एक की न्यूरोडीजेनरेटिव स्थिति है, जो सोचने समझने और निर्णय लेने जैसी क्षमताओं को प्रभावित करता है, जिस के परिणाम में दैनिक कार्य करने में कठिनाई होती है. ऐसे लोग आजाद नहीं रह सकते. इन्हें अपने काम के लिए किसी ना किसी पर बहुत ज्यादा निर्भर होना पड़ता है.जब मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है तो डिमेंशिया हो सकता है. इसके कारण मस्तिष्क कोशिकाओं की एक दूसरे के साथ संवाद करने की क्षमता पर असर पड़ता है पीड़ित व्यक्ति की सोच व्यवहार और भावनाओं पर भी असर पड़ता है.
ऐसे मरीजों के साथ क्या करें
विशेषज्ञ का मानना है कि डिमेंशिया को अगर शुरुआत में ही डिग्नोसिस कर लिया जाए तो इसका प्रॉपर इलाज हो सकता है. स्टडी तो यह भी कहती है कि अगर पेशेंट कोई एक ही कपड़ा बार बार पहन रहा है या वही कपड़ा उसका फेवरेट हो चुका है तो उसकी देखभाल करने वाले केयरटेकर को उसी कपड़े के डुप्लीकेट सेट खरीद लेने चाहिए और मरीज को बिना जानकारी दिए ही गंदे कपड़े को तुरंत कमरे से हटा दें और उन्हें साफ कपड़े से बदल दें जिससे रोगी को गंदे कपड़े पहनने का मोह समाप्त हो सके.
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