Juvenile Osteoporosis :ओस्टियोपोरोसिस हड्डियों की बीमारी है. इसमें हड्डियां कमजोर हो जाती है. बोन मास डेंसिटी घट जाती है, जिससे हड्डियों के फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है, वैसे तो ऑस्टियोपोरोसिस 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं और पुरुष में होता है, और सिर्फ 20 प्रतिशत ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त मरीजों का ही इलाज ठीक से हो पाता है.लेकिन यह कुछ कमियों की वजह से बच्चों में भी देखा जा सकता है जिसे जुवेनाइल ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं.
बच्चों और किशोरों में ऑस्टियोपोरोसिस के मामले कुछ कम देखे जाते हैं और ये आमतौर पर किसी मेडिकल डिसऑर्डर या इसके इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के कारण होता है. इस स्थिति को सेकेंडरी ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है. कभी-कभी जब ऑस्टियोपोरोसिस होने का कोई खास कारण पता नहीं चलता तो इसे इसियोपैथिक ऑस्टियोपोरोसिस के तौर पर जाना जाता है.आपको बता दें की 18 से 20 साल की उम्र तक एक व्यक्ति में बोन का 90 फ़ीसदी निर्माण हो जाता है. ऐसे में अगर बच्चों को ओस्टियोपोरोसिस हो जाए जब शरीर अधिकांश हड्डियों का निर्माण कर रहा होता है, तो यह काफी गंभीर हो सकता है. आजकल की गति हीन जीवन शैली के कारण यह समस्या बच्चियों में बढ़ रही है अगर गिरने से आपके बच्चे की हड्डी फ्रैक्चर हो जाती है तो आप इसे नजरअंदाज ना करें.
जुवेनाइल ऑस्टियोपोरोसि के लक्षण
- किसी बच्चे को ऑस्टियोपोरोसिस होने का पहला संकेत पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों और/या पैरों में दर्द होता है।
- बच्चे को लंगड़ा कर चलने या चलने में भी कठिनाई हो सकती है.
- निचले छोरों का फ्रैक्चर एक सामान्य जटिलता है, विशेष रूप से घुटने या टखने में
- रीढ़ का मुड़ना या हाईट में कमी आना
- अचानक वजन का कम होना
- सांस फूलना
जुवेनाइल ऑस्टियोपोरोसि के कारण
- विटामिन डी और कैल्शियम की कमी
- लंबे समय तक खराब पोस्चर में बैठे रहना
- सीमित गतिशीलता की वजह से भी ये हो सकता है.
- कुछ दवाओं के सेवन जैसे कैंसर रोधी दवाओं के सेवन से भी ऐसा हो सकता है.
- फिजिकल एक्टिविटी से दूर रहना
कैसे करें बचाव
- बच्चों के शरीर को नियमित शारीरिक एक्सरसाइज के साथ पौष्टिक संतुलित आहार की जरूरत होती है बच्चों के लिए सबसे जरूरी हेल्दी खाना है.
- परिवार और माता पिता को बच्चों को एक्सरसाइज की आदत डालने में मदद करनी चाहिए, इससे फिजिकल एक्टिविटी बढ़ती है. हड्डियों और मांसपेशियों के विकास को बढ़ावा तो मिलता ही है साथ ही धूप के संपर्क में आने से विटामिन डी भी मिलता है.
- बच्चों को कैल्शियम से भरपूर फूड खिलाएं.
- दूध और डेयरी उत्पादों में भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है,बींस और साग जैसी सब्जियों को डाइट में शामिल करें.
- अंकुरित चने, ब्रोकली, सरसों का साग, शलजम में भी काफी मात्रा में कैल्शियम होता है.
- फलों और सब्जियों से भरपूर डाइट लेने से हड्डियों को हेल्दी रखने में मदद मिलती है.बचपन में स्वस्थ हड्डियों के निर्माण के लिए विटामिन सी और दूसरे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे मैग्नीशियम जरूरी हैं
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.