Symptoms Of Juvenile Diabtese: आज के समय में डायबिटीज की समस्या से हर कोई परेशान है. चाहे वह बुजुर्ग हो, युवा सभी इसकी चपेट में हैं. साफ तौर पर कहा जाए तो डायबिटीज की दो प्रमुख प्रकार होते हैं. एक टाइप 1 और एक टाइप 2. टाइप वन डायबिटीज जिसे जुवेनाइल डायबिटीज भी कहा जाता है. जुवेनाइल डायबिटीज़ बच्चों में कई बार देखा जाता है. इस स्थिति में पैंक्रियास बहुत कम मात्रा में इंसुलिन या फिर कोई इंसुलिन ही नहीं बनाता है. बता दें कि एक इंसुलिन हार्मोन है, जिसकी मदद से ही शुगर कोशिकाओं में पहुंचकर शरीर में ऊर्जा देता है. पैंक्रियास की इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाएं वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण या एंटीबॉडीज के बनने से जब नष्ट हो जाती हैं, तो इंसुलिन बनाना बंद या कम कर देती है.इससे ब्लड में शुगर का स्तर अनियमित होने लगता है.


जुवेनाइल डायबिटीज़ को कैसे पहचानें?


विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे में डायबिटीज (Diabtese) जन्म से कभी भी हो सकता है. डायबिटीज के लक्षण कई बार बच्चों में अचानक नजर आते हैं. जैसे बहुत ज्यादा प्यास लगना, बार बार यूरिन पास करना, रात में सोते समय बिस्तर गिला करना, बहुत ज्यादा भूख लगना, तेजी से वजन घटना, पेट दर्द, उल्टी, इसके साथ ही बच्चे का मूड बदलना और आंखों से धुंधला दिखाई देना जैसे लक्षण नजर आते हैं.


क्यों होता है जुवेनाइल डायबिटीज़ (Juvenile Diabtese)?


अब तक इस बीमारी का कारण पता नहीं चल सका है. यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है. आमतौर पर शरीर का इम्यून सिस्टम बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करता है, लेकिन ऑटोइम्यून डिजीज की स्थिति में यही सिस्टम पैंक्रियास की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को खत्म करने लगता है. इसकी वजह अनुवांशिक या वायरस का संक्रमण भी हो सकता है. यह किसी भी उम्र में हो सकता है. इसके अधिकतर मामले 4 से 7 साल से 14 साल की उम्र में सामने आते हैं.


डायबिटिक बच्चे का पेरेंट्स कैसे ध्यान रखें?


1. बच्चे को जंक फूड के सेवन से रोकें. कोल्ड ड्रिंक, चावल, मिठाई आलू जैसी चीजों से परहेज करवाएं.


2. ज्यादा देर तक बच्चे को खाली पेट ना रहने दें. डॉक्टर की सलाह पर डाइट प्लान बना ले और उसी को फॉलो करें.


3. समय-समय पर बच्चे का चेकअप करवाते रहें. क्योंकि इसके लिए कोई स्थाई तौर पर दवा नहीं है. समय-समय पर डॉक्टर की जरूरी सलाह ही डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद कर सकती है.


4. फिजिकल एक्टिविटी के लिए बच्चे को प्रेरित करें और साथ में उनके फिजिकल एक्टिविटीज करवाएं.


5. डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार जरूरी है. ज्यादा से ज्यादा सब्जियां खिलाए, होल ग्रेन, प्रोटीन का सेवन करवाएं.


6. नियमित रूप से बच्चों को एरोबिक एक्सरसाइज करवाएं. ये डायबिटीज को बेहतर तरीके से नियंत्रण करने में मदद करता है.


क्या होता है टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज


टाइप-1 और टाइप 2 डायबिटीज के दो रूप हैं. इनमें से टाइप 1 ज्यादा गंभीर है क्यों कि बच्चों के ज्यादा प्रभावित करती है. टाइप – 2 के साथ इतनी समस्या नहीं होती.टाइप 1 में बच्चे इंसुलिन पर भी जा सकते हैं. टाइप 1 बच्चे को असहाय बना सकती है.जिस किसी भी बच्चे  को डायबिटीज की समस्या होती है अगर उनके माता पिता सही डाइट दें तो वो स्थिति को सुधार सकते हैं और बेहतर रिजल्ट मिल सकते हैं.


Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी को केवल सुझाव के तौर पर लें, इस तरह के किसी भी उपचार, इलाज या डाइय पर अमल करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें.


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