Kala Azar: भारत में कालाजार के मरीजों में 2007 से 98.7 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी है. मंत्रालय ने बताया कि साल 2007 में देश में कालाजार के 44,533 मरीज सामने आए थे, जबकि पिछले साल यानी 2022 में इसके सिर्फ 834 मामले देख गए. मंत्रालय के मुताबिक, भारत इस साल कालाजार का देश से खत्मा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. देश के हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मांडविया ने बुधवार ने उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के चार राज्यों में कालाजार बीमारी की मौजूदा स्थिति की समीक्षा के लिए एक हाई लेवल मीटिंग की अध्यक्षता की. इस बैठक में उन्होंने कहा कि 632 (99.8 प्रतिशत) स्थानिक ब्लॉक पहले ही उन्मूलन दर्जा (प्रति 10,000 लोगों में एक से कम मामले) हासिल कर चुके हैं.


पाकुड़ जिला झारखंड का सिर्फ एक ब्लॉक (लिट्टीपारा) स्थानिक श्रेणी (1.23 मामले प्रति 10,000 लोगों) में है. मांडविया ने कहा, 'हम झारखंड में उन्मूलन को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार और बाकी हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.' मालूम हो कि मलेरिया के बाद कालाजार को दुनिया की दूसरी सबसे खतरनाक बीमारी माना जाता है. मांडविया ने उन्मूलन लक्ष्य (एलिमिनेशन टारगेट) को पूरा करने की दिशा में राज्य सरकारों ने जो कदम उठाएं हैं, उसकी सराहना भी की. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सभी नागरिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करना हमारा असली टारगेट है,' सरकार ने 2023 तक कालाजार के उन्मूलन को हासिल करने के लिए कई कदम उठाए हैं.


बीमारी के खात्मे में जुटी सरकार


मांडविया ने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद से पक्के घर, वक्त पर जांच, ग्रामीण विद्युतीकरण, इलाज और समय-समय पर समीक्षा से लेकर पुरस्कार बांटने के माध्यम से प्रोत्साहन देने का काम कर रही है. इन कदमों से सरकार अपने हितधारकों के साथ मिलकर इस रोग का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र को सुनिश्चित कर रही है. इसके अलावा, वो एक्टिव मामलों का पता लगाने, निगरानी करने, इलाज और डायग्नोस्टिक की किट, स्प्रे और दवाओं आदि की सप्लाई में राज्यों की भी मदद कर रही है. हेल्थ मिनिस्टर ने कहा, 'यह सराहनीय है कि कुछ राज्यों ने अपने जिलों में बीमारी को लगभग खत्म कर दिया है. हालांकि इस काम को जारी रखना और यह सुनिश्चित करना भी उतना ही जरूरी है कि कालाजार के मरीजों की संख्या प्रति 10,000 की आबादी पर एक से नीचे ही बनी रहे.


झारखंड और बिहार में सबसे ज्यादा केस


मांडविया ने स्थानिक राज्यों से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि हाई-रिस्क वाले ब्लॉकों की रेगुलर निगरानी की जाए. कालाजार रोग चार राज्यों- बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के 54 जिलों के 633 ब्लॉकों में स्थानिक था. अभी कालाजार के 90 प्रतिशत से ज्यादा मामले झारखंड और बिहार से सामने आते हैं. उत्तर प्रदेश ने 2019 और पश्चिम बंगाल ने 2017 में ब्लॉक लेवल पर अपने एलिमिनेशन टारगेट को हासिल कर लिया. बता दें कि कालाजार बीमारी लिशुमैनिया डोनोवानी परजीवी की वजह से होती है. ये संक्रमण बालू-रेत वाली मक्खियों के काटने से फैलता है. यह बीमारी त्वचा को प्रभावित करने का काम करती है. हालांकि ऐसा नहीं है कि इससे बचना मुमकिन नहीं है. यह कोई घातक बीमारी नहीं है, लेकिन कई बार जटिलताओं की वजह से मौत का कारण बन जाती है. 


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