(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बच्चा पैदा होने के बाद कितनी मुश्किल होती है सेक्स लाइफ? कल्कि कोचलिन ने इस पर खुलकर की बात
कल्कि कोचलिन ने एक इंटरव्यू में अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर खुलकर बात की है. उन्होंने बताया कि बच्चा होने के बाद उनकी पर्सनल लाइफ किस हद तक प्रभावित हुई थी. किस तरह है अपने पार्टनर के साथ रिश्ता.
कल्कि कोचलिन ने हाल ही में दिए इंटरव्यू में बच्चा होने के बाद अपनी सेक्स लाइफ में हुए बदलाव को लेकर खुलकर बात की है. वह कहती हैं कि मैं उस समय के बारे में सोची हूं जब मैंने अपनी बेटी सप्पो को जन्म दिया था. ऐसा फिल हुआ कि मेरी प्राइवेट पार्ट पूरी तरह से फंक्शन करना बंद कर दिए है.क्योंकि मैंने अपनी बेटी को नॉर्मिल डिलीवरी के जरिए जन्म दिया था. लेकिन वापस से नॉर्मल होने में मुझे काफी वक्त लग गया. धीरे-धीरे जब सेक्स लाइफ में वापस लौटी तो वह मेरे लिए काफी दर्दनाक था. उस वक्त अपने पार्टनर के साथ इंटीमेट होने से मुझे डर लगता था. मुझे यह पूरा वाक्या इसलिए याद है क्योंकि मैं उस दौरान काफी ज्यादा दर्द से गुजरी थी.
वहीं मैं अपने पार्टनर की बात करूं तो वह काफी ज्यादा समझदार और शांत है. मैं इतना कुछ झेल रही थी कि उन्होंने कभी इस चीज के लिए जोर नहीं डाला. अक्सर लोग इन चीजों के बारे में बात नहीं करता है. ज्यादातर लोगों को लगता है कि यह पूरी तरह से बकवास बात है. इस पर क्या बात करना. मुझे अपने बच्चे के जन्म के बाद से कुछ समस्याएं थी. जिसके कारण मुझे स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास वापस जाना पड़ा और सर्जरी करानी पड़ी.
कल्कि कोचलिन ने हाल ही में उन चुनौतियों के बारे में बात की जिनका सामना महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद करती हैं. खास तौर पर बच्चे को जन्म देने के बाद जब बात सेक्स लाइफ को फिर से शुरू करने की आती है. शेनाज ट्रेजरी के साथ एक इंटरव्यू में अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर खुलकर बातें की.
महिलाओं को होने वाली फिजिकल और मेंटल चैलेंज
'सलूब्रिटास मेडसेंटर की कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट' डॉ. नैन्सी नागपाल कहती हैं महिलाओं को अक्सर बच्चे के जन्म के बाद शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. जैसे कि ठीक हो रहे सेल्स या मनोवैज्ञानिक कारकों के कारण सेक्स के दौरान दर्द या बेचैनी. जिसमें संभावित टांकों से जुड़े दर्द का डर भी शामिल है. इस अवधि के दौरान पार्टनर का इमोशनल सपोर्ट बहुत ज़रूरी है. दोनों भागीदारों के लिए अपनी भावनाओं और किसी भी कठिनाई के बारे में खुलकर बात करना ज़रूरी है. ताकि उन्हें ठीक होने और ठीक होने का समय मिल सके.
वह जोर देकर कहती हैं कि इस मामले में पार्टनर का एक दूसरे को मेंटल और फिजिकल सपोर्ट बेहद ज़रूरी है. क्योंकि इस टाइम पीरियड को पार करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. एक-दूसरे की ज़रूरतों और संघर्षों को समझना एक सहायक वातावरण को बढ़ावा देता है जो दोनों भागीदारों को माता-पिता बनने के साथ आने वाले बदलावों के साथ तालमेल बिठाने में मदद कर सकता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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