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Kidney Transplant: क्या ट्रांसप्लांट के वक्त पूरी तरह हटा देते हैं खराब किडनी, ट्रीटमेंट में कितने रुपये होते हैं खर्च? जानें पूरा प्रोसेस

किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर अक्सर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं. जैसे- किडनी ट्रांसप्लांट के बाद एक मरीज कितने दिनों तक जिंदा रहता है. साथ ही किडनी ट्रांसप्लांट में कितना खर्चा होता है?

Kidney Transplant: किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर अक्सर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं. जैसे- किडनी ट्रांसप्लांट के बाद एक मरीज कितने दिनों तक जिंदा रहता है. साथ ही किडनी ट्रांसप्लांट में कितना खर्चा होता है? वहीं जो किडनी किडनी डोनेट करते हैं उन्हें भी कई सारी दिक्कतें होती है. किडनी शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता है. आज हम बात करेंगे कि किडनी डोनेट करने के बाद लोगों को किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है?

किडनी ट्रांसप्लांट क्या होता है?

एक व्यक्ति के शरीर में दो किडनी होती है. एक किडनी के सहारे भी इंसान काफी दिनों तक जिंदा रह सकता है. लेकिन जब दोनों किडनियां काम करना बंद कर दें तो इंसान को बचाना बेहद मुश्किल है. एक इंसान में किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत तब पड़ती है जब उसकी दोनों किडनी काम करना बंद कर दें. किडनी ट्रांसप्लांट में खराब किडनी को निकालकर अच्छी किडनी लगाई जाती है. 

कब पड़ती है किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत?

किडनी जब पूरी तरह से खराब हो जाती है. यानि किडनी लास्ट स्टेज में पहुंच जाती है वह किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है. ब्लड को प्यूरीफाई करने का काम किडनी का है. जब किडनी ठीक से काम नहीं करता है तो मरीज के जान का खतरा है. तभी मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है. 

किडनी ट्रांसप्लांट का पूरा प्रोसेस क्या है?

किडनी ट्रांसप्लांट वाले व्यक्ति अगर जिंदा है तो ट्रांसप्लांट की तैयारी डोनर के हिसाब से की जाती है. अगर किसी मरे हुए व्यक्ति की किडनी लेनी है तो ट्रांसप्लांट केंद्र मरीज को किडनी मिलने के बाद पूरी जानकारी देता है. इसके बाद ही सर्जरी होती है. आमतौर पर खराब किडनी को हटाया नहीं जाता है बल्कि उसी किडनी के नीचले हिस्से में ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसके बाद लगी हुई किडनी को ब्लड वेसल्स और ब्लैडर के साथ जोड़ा जाता है. 

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज कितने दिनों में ठीक होता है?

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को ठीक होने में 6 हफ्ते का वक्त लगता है. लेकिन यह समय बढ़ भी सकता है. यह पूरी तरह मरीज कितना स्वस्थ इस पर डिपेंड करता है. 

किडनी डोनेट के बाद किन बातों का रखना पड़ता है ख्याल

एक्सपर्ट के मुताबिक किडनी डोनेट करने के बाद डोनर को कई बातों का रखना पड़ता है ख्याल. किडनी डोनेट करने के बाद अगर किसी भी तरह की दिक्कत होती है तो बिना समय गवाएं डॉक्टर को तुरंत दिखाएं. किडनी डोनेट करने के बाद ब्लड प्रेशर, यूरिन टेस्ट, ब्लड यूरिया टेस्ट और इसके बाद फुल बॉडी चेकअप करवाना बेहद जरूरी है. 

कितना आता है खर्च?

किडनी ट्रांसप्लांट में काफी ज्यादा खर्च होता है. हर जगह कि अलग-अलग खर्च होती है. सरकारी हॉस्पिटलों में पूरी तरह से किडनी ट्रांसप्लांट फ्री किया जाता है. लेकिन दवाइयों पर कम से कम 2-3 लाख का खर्च आता है. वहीं प्राइवेट हॉस्पिटलों में डॉक्टरों की फीस, सर्जरी और दवाईयों में लगभग 30 लाख का खर्च से भी अधिक होता है. 

एक सेहतमंद व्यक्ति किडनी दे सकता है?

एक स्वस्थ्य व्यक्ति किडनी आराम से डोनेट कर सकता है. ट्रांसप्लांट करने से पहले डॉक्टर्स किडनी डोनेट करने से पहले व्यक्ति हर तरह की जरूरी चेकअप करते हैं. तभी किडनी डोनेट करने की सलाह दी जाती है. 

किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर क्या कहते हैं सरकारी आंकड़ें

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 सालों में भारत में सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट किए गए है. उसके बाद लिवर और दिल के ट्रांसप्लांट हुए हैं.  8 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और नेशनल ऑर्ग्न टिश्यूज ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों को लोकसभा में पेश किया गया.

इस सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इंडिया में बीते 5 सालों में भारत में काफी ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट में हुए हैं. इस आंकड़ें के मुताबिक 43 हजार 983 लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है. जोकि ऑर्गन ट्रांसप्लांड का 75 प्रतिशत है. वहीं 22 प्रतिशत यानि 13 हजार लोगों का लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है. वहीं 911 लोगों ने हार्ट ट्रांसप्लांट करवाया. छोटी आंत का ट्रांसप्लांट एक प्रतिशत से भी कम लोग करवाते हैं. 

किडनी ट्रांसप्लांट के मामले में भारत वर्ल्ड रैंकिंग में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर आता है. हालांकि, यह केवल जीवित दान के रूप में होता है, शव के रूप में नहीं.

 ऑर्गन डोनेट की तुलना में ट्रांसप्लांट काफी ज्यादा हुई है

आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच सालों में ट्रांसप्लांट किए गए अंगों की संख्या की तुलना काफी ज्यादा है. दान किए गए अंगों की संख्या से. वहीं 2018 से 2022 के बीच 58,749 ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए जबकि 52,594 अंग दान किए गए.

आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोना महामारी के दौरान दान और प्रत्यारोपण दोनों के आंकड़ों में गिरावट आई, हालांकि, तब से यह दोगुने से भी अधिक हो गया है. 2020 में, भारत में अंग दान 2019 में 11,323 से घटकर 6,812 हो गया, हालांकि, 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 14,300 हो गया. 2020 में अंग प्रत्यारोपण घटकर 7,443 हो गया, हालांकि, दो साल बाद 2022 में यह आंकड़ा 16,041 हो गया.

किडनी ट्रांसप्लांट दो तरह के होते हैं-  जीवित और मृत. 

Mint में छपी खबर के मुताबिक मेदांता के नेफ्रोलॉजी और किडनी प्रत्यारोपण के वरिष्ठ निदेशक और विभाग प्रमुख डॉ. श्याम बिहारी बंसल के मुताबिक भारत में 80 प्रतिशत से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट जिंदा लोगों से लेकर की जाती है. रिसीवर से ऑर्गन मैच करने के बाद आसानी से किडनी डोनेट की जा सकती है. फिर आराम से वह अपनी जिंदगी जी सकता है. ट्रांसप्लांट का पूरा प्रोसेस बेहद आसान और तकनीकी रूप से टफ नहीं है. वहीं हार्ट और फेफड़ों का ट्रांसप्लांट सिर्फ मृत के ऑर्गन से ही कर सकते हैं. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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