‘नी रिप्लेसमेंट’ के दामों में कटौती अच्छा कदम, अब गुणवत्ता पर भी ध्यान देने की जरूरत
आर्टिफिशियल नी इम्प्लांट सस्ते होने पर विशेषज्ञों ने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि दाम घटाने से आर्टिफिशियल नी रिप्लेसमेंट की गुणवत्ता प्रभावित न हो.
नयी दिल्ली: आर्टिफिशियल नी इम्प्लांट सस्ते होने की सरकार की घोषणा का स्वागत करते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि आर्टिफिशियल इम्प्लांट के दाम सीमित करने के फैसले से मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों को फायदा होगा, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि दाम घटाने से आर्टिफिशियल नी रिप्लेसमेंट की गुणवत्ता प्रभावित न हो.
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और आर्थोपेडिक्स सर्जन डॉ. राजू वैश्य ने कहा कि इस फैसले से मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों को फायदा होगा. वे खराब हो चुके अपने जोड़ों को सही समय पर बदलवा सकेंगे और दर्द से राहत पा सकेंगे.
उन्होंने कहा कि लेकिन साथ ही साथ यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि इम्प्लांटों के दाम घटने के कारण उनकी गुणवत्ता प्रभावित न हो.
डॉ. वैश्य ने कहा कि कई बार लोग पैसे के चलते खराब हो चुके जोड़ों को बदलवाने का ऑपरेशन टालते रहते हैं जिसके कारण उनके जोड़े ज्यादा खराब होते जाते हैं. वे दर्द और कष्ट से भरा जीवन जीने को विवश होते हैं. अगर घुटने बदलवाना सस्ता हो जाए तो अधिक से अधिक लोग समय पर जोड़ बदलवाने की सर्जरी करा सकेंगे और सक्रिय जीवन जी सकेंगे.
पारस हेल्थकेयर के डॉ धर्मेंद्र नागर ने घुटना इम्प्लांट की कीमत कम करके सीमित करने के एनपीपीए के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे अधिक से अधिक जरूरतमंद लोग घुटना बदलवा सकेंगे जो पैसों की वजह से ऐसा नहीं करते थे.
उन्होंने भी यह सुनिश्चित करने की बात कही कि इस तरह के फैसले का गुणवत्ता मानकों पर नकारात्मक असर नहीं पड़ना चाहिए.
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