Vaginal Seeding: बदलते समय के साथ आज विज्ञान के हर क्षेत्र में इतनी तरक्की हो चुकी है कि सब कुछ संभव है. प्रेगनेंसी से जुड़ा एक शब्द महिलाओं के बीच अपनी पहचान बना रहा है जिसे साइंस की भाषा में वजाइनल सीडिंग कहा जाता है. बहुत सी महिलाएं इस बारे में नहीं जानती और इसका क्या काम और कब ये किया जाता है इस विषय में ज्यादा लोगों को पता नहीं है. दरअसल, वजाइनल सीडिंग को माइक्रो बर्थिंग भी कहते हैं. वजाइनल सीडिंग में सी सेक्शन के बाद पैदा हुए बच्चे को जन्म के तुरंत के बाद मां की योनि के फ्लूइड से कवर करके रखा जाता है. इससे बच्चे को कई तरह के लाभ मिलते हैं.


जो बच्चे नॉर्मल डिलीवरी से पैदा होते हैं वे जब बर्थ कैनाल से गुजरते हैं तो गुड बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं जो उनके स्वाथ्य के लिए फायदेमंद होता है. लेकिन, c-section से पैदा होने वाले बच्चे इससे अछूते रह जाते हैं जिसकी कमी वजाइनल सीडिंग से पूरी की जाती है.


कैसे की जाती है वजाइनल सीडिंग


दरअसल, जब बच्चा सी-सेक्शन के जरिए पैदा होता है तो मां के वजाइनल फ्लूइड को रुई के फाहे की मदद से शिशु के नाक, त्वचा और मुंह में डाला जाता है. 
फ्लूइड को लेने के लिए जिस तरह पीरियड में महिलाएं टैम्पॉन का इस्तेमाल करती हैं ठीक उसी तरह एक साफ उपकरण को महिला के वजाइना में डाल दिया जाता है. ये उस वक्त किया जाता है जब बच्चा पैदा नहीं हुआ होता. लगभग 1 घंटे के लिए उपकरण वजाइना के अंदर रहता है जिससे उसमें ठीक तरीके से गुड बैक्टीरिया लग जाएं. 


सी सेक्शन के बाद जैसे ही बच्चा जन्म लेता है तो रुई की मदद से बच्चे को वजाइना फ्लूइड दिया जाता है. जो बच्चे नॉर्मल डिलीवरी के जरिए पैदा होते हैं वे इस फ्लूइड के संपर्क में बर्थ कैनाल के जरिए आ जाते हैं और उन्हें इसकी जरूरत नहीं पड़ती. 


आखिर क्यों की जाती है वजाइनल सीडिंग


 जब बच्चा नॉर्मल तरीके से पैदा होता है तो वह बर्थ कैनाल के जरिए पहले गुड बैक्टीरिया के संपर्क में आता है जबकि, सी-सेक्शन से पैदा होने वाला बच्चा पहले गंदे माइक्रोब्स के संपर्क में आ जाता है. गुड बैक्टीरिया बच्चे के पाचन और स्वास्थ्य संबंधित विकारों से बचाने में मदद करते हैं. सी सेक्शन के जरिए पैदा हुए बच्चे में ऐसी समस्याएं न आए इसलिए वजाइनल सीडिंग की जाती है.


सरल शब्दों में कहें तो जो फ्लूइड बच्चे को प्राकृतिक तौर से नहीं मिल पाया उसे आर्टिफिशियल तरीके से देने की कोशिश की जाती है.



 फायदे


मां के बर्थ कैनाल में बहुत सारा हेल्दी फ्लोरा होता है जो शिशु के लिए अत्यधिक फायदेमंद है. नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा इस गुड फ्लोरा से ढका रहता है और उसे जीवन भर गुड बैक्टीरिया का लाभ मिलता है. कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए बच्चों में इम्यूनिटी सिस्टम से जुड़े विकारों का खतरा कम रहता है जबकि सी सेक्शन के जरिए पैदा हुए बच्चे एलर्जी की बीमारियों और इन्फेक्शन की चपेट में जल्दी आते हैं क्योंकि वे गुड बैक्टीरिया से अछूते रह जाते हैं. इसलिए वजाइनल सीडिंग की जाती है ताकि बच्चे स्वस्थ्य रहे और उन्हें वही लाभ मिले तो नॉर्मल बर्थ पर मिलता है.


यह भी पढ़े:


Heel Pain: जमीन पर पैर रखते ही दर्द से निकल जाती है चीख, सुबह के समय क्यों दर्द करती हैं एड़ियां; बता रहे हैं आयुर्वेदिक वैद्य