World Leprosy Day 2023: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की डेथ एनिवर्सरी पर ही क्यों मनाया जाता है विश्व कुष्ठ दिवस..जानिए इसके बारे में सबकुछ
भारत में कुष्ठ दिवस 30 जनवरी को मनाया जाता है क्योंकि इस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की डेथ एनिवर्सरी भी होती है.महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति दया और स्नेह का भाव रखते थे.
World Leprosy Day :कुष्ठ रोग जिसे आम बोलचाल की भाषा में हम कोढ़ कहते हैं ये एक क्रॉनिक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होता है. मुख्य रूप से हाथ, पाव, त्वचा, नाक की परत और ऊपरी सांस के रास्ते की नसों को प्रभावित करता है. इस रोग को हैनसेन रोक के नाम से भी जाना जाता है. नार्वे के चिकित्सक गेरहार्ड अरमाउर हैनसेन ने ही कुष्ठ रोग के कारक एजेंट एम. लेप्रे की खोज की थी. इसलिए पहले इसे हैनसेन रोग के रूप में जाना जाता था. कुष्ठ रोग त्वचा के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों में कमजोरी पैदा करता है अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो पीड़ित को गंभीर विकलांगता का सामना करना पड़ता है.
क्या हैं कुष्ठ रोग के लक्षण
कुष्ठ रोग के लक्षण कभी भी तुरंत नहीं समझ में आते, इसके लक्षण सामने आने में कम से कम 20 सालों तक का वक्त लग जाता है. दरअसल माइक्रोबैक्टेरियम शरीर में प्रवेश करने के बाद बहुत धीरे धीरे बढ़ता है, जिसकी वजह से इसके लक्षण कई सालों में दिखाई देते हैं. इस रोग के गंभीर होने का सबसे बड़ा यह कारण है कि जब तक संक्रमित व्यक्ति इसके लक्षणों की पहचान करता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
- कोढ़ के दौरान शरीर पर सफेद चकत्ते पड़ने लगते हैं. यह निशान सुन्न होते हैं. इसमें कोई भी सेंसेशन नहीं होता है. अगर आप किसी नोकिली वस्तु से चुभो कर देखेंगे तो आपको दर्द का एहसास नहीं होगा.
- प्रभावित अंगों में चोट लगने जलने या कटने का भी पता नहीं चलता
- लेप्रसी के मरीज को पलक झपकाने में दिक्कत होने लगती है, क्यों कि लेप्रै बैक्टीरिया मरीज की आंखों की नसों पर हावी होकर उनके सेंसेशन और सिग्नलस को प्रभावित करता है
भारत में 30 जनवरी को क्यों मनाया जाता है कुष्ठ दिवस
डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व कुष्ठ दिवस जनवरी के आखिरी रविवार को पड़ता है इस रोग से प्रभावित लोगों के उपचार और इलाज के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 1954 में फ्रांसीसी पत्रकार राउल फोलेरोऊ ने इस दिन को मनाना शुरू किया पूरी दुनिया में यह 29 जनवरी के दिन ही मनाया जाता है लेकिन भारत में यह 30 जनवरी को मनाया जाता है क्योंकि इस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की डेथ एनिवर्सरी भी होती है.महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति दया और स्नेह का भाव रखते थे. आपको ये भी बता दें डब्ल्यूएचओ के अनुसार कुष्ठ रोग कम से कम 4 हजार साल पुराना है. संगठन ने 2030 क 120 देशों को लेप्रोसी की बीमारी को शून्य बनाने का लक्ष्य रखा है.
कुष्ठ रोग को लेकर फैली इन अफवाह पर ना करें यकीन
- बहुत सारे लोगों के दिमाग में चलता है कि कुष्ठ रोग एक दैवीय प्रकोप है इस वजह से लोग इस विषय पर बात करना भी नहीं चाहते लेकिन यह एक बहुत बड़ी भ्रांति है.
- लोगों का मानना है कि कोढ़ की की बीमारी जेनेटिक रोग है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है ये संक्रमण की चपेट में आने से ही होता है.
- लोगों में यह अफवाह फैली हुई है कि एक बार जैसे कुष्ठ रोग हो जाता है उसका इलाज नहीं किया जा सकता है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. कुष्ठ रोग का इलाज किया जा सकता है और बाकी अन्य बीमारियों से जिस तरह से लोग ठीक होते हैं इससे भी लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं.
- लोगों में यह भी भ्रांतियां फैली हुई है कि कुष्ठ रोग बहुत ज्यादा संक्रामक बीमारी है इससे किसी को भी छूने से हो सकता है. जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है.यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को तब हो सकता है जब उसके साथ लंबे समय तक संपर्क में रहा जाए.
- गले लगना हाथ मिलाना या संभोग करने से भी इस बीमारी के शिकार नहीं हो सकते, यहां तक की ये बीमारी एक गर्भवती मां से बच्चे तक में नहीं फैल सकती.
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