नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्टर इरफान खान पिछले कुछ दिनों से एक दुर्लभ बीमारी की चपेट में हैं. 5 मार्च को उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट पर जानकारी दी थी. लोगों ने उनकी बीमारी को लेकर कई तरह के कयास लगाए. आज इरफान खान ने खुद उस रेयर डिजीज का नाम बताते हुए कहा है कि उन्हें न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर हो गया है. उन्होंने ये भी कहा कि न्यूरो का मतलब ये नहीं है कि ये डिजीज सिर्फ ब्रेन में ही हो. अभी इरफान खान का ट्रीटमेंट चल रहा है. उन्होंने लोगों से दुआएं करने के लिए कहा है. आखिर ये बीमारी है क्या? ये कितनी घातक है? इसको लेकर एबीपी न्यूज के संवाददाता ने न्यूरोसर्जन डॉ. प्रंकुल सिंघल से बात की. जानिए, न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर कितना खतरनाक है.


क्या है न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर-
न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर एक दुर्लभ ट्यूमर है जो कि न्यूरो एंडोक्राइन सिस्टम की कोशिकाओं में होता है. न्यूरो एंडोक्राइन नर्व्स और ग्लैंड सेल्स होते हैं जो कि हार्मोन पैदा करते हैं और उन्हें ब्लड फ्लो में रिलीज कर देते हैं. डॉ. सिंघल का कहना है कि न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर यूं तो आनुवांशिक होता है लेकिन ये बहुत ही रेयर है और बहुत ही कम लोगों को होता है. आमतौर पर ये ट्यूमर लंग्स या पेट की आंतडियों में होता है. इन जगहों से होता हुआ ये ब्रेन में फैलता है. डॉ. सिंघल कहते हैं कि यदि ये ट्यूमर सिर्फ ब्रेन में डायग्नोज होता है तो ये बहुत ही ज्यादा रेयर कंडीशन होती है. ऐसे केस आमतौर पर बहुत ही कम पाए जाते हैं. इस कडीशन को प्राइमरी ब्रेन न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर बोला जाता है.


ये है इस ट्यूमर का कारण-
इस ट्यूमर का कारण बताते हुए डॉक्टर कहते हैं कि अमूमन मामलों में इस ट्यूमर का कारण आनुवांशिक ही होता है. यदि जेनेटिक कारण नहीं है और किसी को न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर हो गया है तो भी ये स्थिति रेयर कंडीशन में शामिल होती है.


शरीर में फैलने वाला ट्यूमर है ये-
इस ट्यूमर की प्रकृति है कि ये फैलने वाला ट्यूमर है यानि शरीर के एक अंग से दूसरे अंग में तेजी से फैलने लगता है. आमतौर पर ये ट्यूमर मरीज को लंबे समय तक रहता है और इसका पता जल्दी से नहीं चल पाता. लंग्स, पेट की आंत और रेक्टम में ये ट्यूमर है तो ब्रेन में ये तेजी से फैलता है. लीवर में जा सकता है.


कितना खतरनाक है ये न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर-
इस ट्यूमर के खतरनाक होने का पता बायोप्सी रिपोर्ट से पता चलता है. रिपोर्ट में ग्रेडिंग ए, बी, सी और डी दी जाती है. यदि सी ग्रेड है तो ये जानलेवा हो सकता है.


क्या है ट्रीटमेंट-
डॉ. सिंघल बताते हैं कि इस बीमारी का ट्रीटमेंट भी इसके ग्रेड पर निर्भर करता है. इसके साथ ही ये भी निर्भर करता है कि ये शरीर के किस हिस्से में कितना फैला है. यदि ट्यूमर ब्रेन में फैल चुका है तो एमआरआई रिपोर्ट से इसे डायग्नोज किया जाता है. अमूमन मामलों में सर्जरी ही बेहतर विकल्प है. सर्जरी से ट्यूमर का लोड कम हो सकता है. यूं तो ये जानलेवा ट्यूमर है लेकिन रिपोर्ट देखकर ही बताया जा सकता है कि मरीज के पास कितना समय है और इलाज से उसको बचाया जा सकता है या नहीं.


क्या है इसके लक्षण-
न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर में आमतौर पर मरीज को 20-25 दिन तक डायरिया की शिकायत रहती है. हार्मोंस में बदलाव होने के कारण डायरिया होना इस बीमारी में बहुत आमबात है. डायरिया भी तभी होता है जब ये लंग्स या आंतों में हो.  यदि ये ट्यूमर पेट की आंतों में है तो एब्डोमिनल इंफेक्शन हो सकता है. यदि ये ट्यूमर ब्रेन में है तो ब्रेन पर प्रेशर आ सकता है. मरीज को बेहोशी होना, दौरे पड़ना, उल्टियां होना, सिरदर्द होना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. मरीज की आंखों पर दबाव पड़ सकता है. ब्रेन में और आंखों में सूजन आ सकती है.


ट्यूमर का निदान-
आनुवां‍शिक होने के कारण बच्चों में इस बीमारी का पता लगाने के लिए जेनेटिक टेस्ट किया जाता है. टेस्ट के दौरान बच्चे में यह बीमारी पाई जाती है तो सर्जरी के जरिए बच्चे की थायराइड ग्लैंड निकाल दिया जाता है. इससे बच्चे को ट्यूमर होने का खतरा खत्म हो जाता है.

ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.