Heart Health: दिल की हर धड़कन सिर्फ जज्बातों के साथ तेज या धीमी नहीं होती है. बल्कि हार्ट की हेल्थ जरा ऊपर नीचे होती है तो दिल की धड़कनों की रफ्तार भी बदल जाती है. लेकिन ये बदलाव किस तरह के होते हैं. क्या हार्ट अटैक आने से पहले हार्ट रेट यानी कि दिल के धड़कने की गति बढ़ जाती है. या, फिर दिल के ध़ड़कने की स्पीड बहुत कम हो जाती है. इसको लेकर सबका अपना अपना अलग मानना है. लेकिन सही क्या है, इसको लेकर हमेशां कंफ्यूजन रहता है. हम आपको बताते हैं कि किस तरह से हार्ट अटैक के दौरान हार्ट रेट प्रभावित होता है.
हार्ट अटैक आने पर क्या होता| Heart Rate During Heart Attack
हार्ट रेट में बदलाव
हार्ट रेट में बदलाव को जानने से पहले एक बार फिर समझिए कि हार्ट रेट होता क्या है. इसे बहुत आसान भाषा में यूं समझिए कि आपका दिल एक मिनट में जितनी बार धड़कता है, उसे उस दिल की हार्ट रेट मान जाता है. जो सामान्यतः एक मिनट में 72 होती है तो उसे नॉर्मल माना जाता है. हार्ट अटैक आने पर ये हार्ट रेट प्रभावित भी होता है. कई बार हार्ट अटैक आने की वजह दिल की धड़कन की स्पीड ज्यादा होना भी होता है.
क्या हार्ट रेट बढ़ने का मतलब होता है हार्ट अटैकय़
अक्सर लोगों को ये कंफ्यूजन होता है कि हार्ट रेट अगर बढ़ी यानी कि दिल बहुत तेजी से धड़कने लगा तो ये हार्ट अटैक होने का इशारा हो सकता है. हालांकि इस बात को सिरे से नहीं नकारा जा सकता. लेकिन एकदम सटीक भी नहीं कहा जा सकता. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और सीडीसी एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि सिर्फ हार्ट रेट के तेज होने को ही हार्ट अटैक का संकेत नहीं मान जा सकता. डॉक्टर्स भी यही मानते हैं कि सिर्फ हार्ट रेट का तेज होना या हार्ट रेट का कम होना. इस बात का संकेत नहीं होता कि किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आ सकता है.
दिल के धड़कने गति में अंतर के साथ साथ और भी कई लक्षण दिखें तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए. या, बार बार हार्ट रेट में अंतर दिख रहा हो तो ज्यादा वक्त गंवाए बिना डॉक्टर से इज करवाना चाहिए. क्योंकि इस फेक्ट को पूरी तरह से रूल आउट नहीं किया जा सकता. हार्ट की वर्किंग में थोड़ी भी ऊंच नीच होने पर बिना देर किए इलाज लेना सबसे ज्यादा जरूरी है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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