वास्तव में चिड़िया की बीट सफेद नहीं होती है. पक्षियों में मैमल्स की तरह यूरीन और फेसेस को बाहर निकालने के लिए कोई अलग जगह नहीं होती, बल्कि पक्षियों में दोनों पदार्थ को साथ में क्लोका के माध्यम से निकाल दिया जाता है. मैमल्स अक्सर यूरीया के माध्यम से अपने नाईट्रोजेनेस वेस्ट को बाहर निकालता है, पक्षियों में इसे यूरिक एसिड या गुएनिन में परिवर्तित किया जाता है जो पानी की कमी को कम करता है. इस प्रकार यूरिक एसिड एक सफेद चिपचिपा पेस्ट बनाता है, तो असल में सफेद भाग चिड़ियों का पेशाब होता है और बीच का काला भाग चिड़ियों का बीट होता है. 


ऐसा माना जाता है कि पक्षियों में डायनासोर के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, तो आप भी इस बात पर आश्चर्य करते होगें कि क्या डायनासोर भी इसी प्रकार पेशाब और शौच करते होगें? लेकिन ऐसा पता चला है कि सभी पक्षियां एक प्रकार की नहीं होती हैं, उदाहरण के तौर पर ऑस्ट्रिच को लेते हैं, ये पक्षी भी अपने वेस्ट को क्लोका के माध्यम से बाहर निकालती है. हालांकि, अब तक इस बात का कुछ पता नहीं चला है कि डायनासोर अपने वेस्ट को बाहर कैसे निकालते थे. कुछ प्रमाण के सुझाव ने ये संभावना व्यक्त की है कि गैर एवियन डायनासोर भी पेशाब और शौच करते थे.


बीट के रंग से पता चलता है चिड़ियों का हेल्थ


चिड़ियों की बीट से उनके हेल्थ के बारे में जान सकते हैं. आमतौर पर चिड़ियों की बीट सफेद या काले रंग की होती है, लेकिन अगर उनमें किसी भी प्रकार के बदलाव दिखाई देते हैं तो इसका मतलब की उन्हें अपने आहार और वेलनेस में परिवर्तन करने की जरूरत है. अक्सर चिड़िया ब्लू बैरीज़ खाने के बाद बैंगनी बीट करती हैं, हालांकी, सफेद और हरी बीट लीवर, बैकटीरिया य़ा पैरासिटिक इंफेक्शन का संकेत देती है. जब चिड़िया फ्रेश फ्रूट्स यानी की अंगूर, वॉटरमेलन या पीच खातीं है तो उनमें एक महत्वपूर्ण मात्रा में पेशाब बनती है. अगर आप अपने पालतू चिड़िया में ऐसे कोई बदलाव देखते हैं तो उन्हें तुरंत पास के किसी पशुचिकित्सिक को दिखाएं.


क्या चिड़ियों की बीट इंसानो के लिए हानिकारक हो सकती है?


सुंदर, छोटी और प्यारी दिखने वाली चिड़ियों की बीट से इंसानो को 60 भयानक बीमारियां हो सकती हैं, जिसमें ज्यादातर पैरासिटिक डिजीज जैसे की फंजाइ, यीस्ट और वायरस इंफेक्शन का खतरा होता है. चिड़ियों की बीट से इंसानों में गंभीर बीमारियां जैसे की हिस्टोप्लाज्मोसिस, कैंडिडिआसिस, क्रिप्टोकोकोसिस और इंसेफेलाइटिस जो की हमारे नरवस सिसटम के लिए घातक हो सकता है.


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