डेंगू बुखार से समय रहते बचने के लिए उसके लक्षण और कारणों को जानना है जरूरी
बुखार आदमी को तोड़ देता है. अगर डेंगू बुखार हो तो ये और भी चिंताजनक हो जाता है. रोग को हल्के में लेना घातक साबित हो सकता है.
नई दिल्ली: डेंगू बुखार जिसके सुनते ही शरीर में कंपकंपी होने लगती है. लेकिन क्या आप इसके लक्षण और कारणों को जानते हैं ? अगर आप लक्षण और कारण को नहीं जानेंगे तो फिर बचाव का कैसे उपाय करेंगे ? इसलिए हम आपको बता रहे हैं.
डेंगू बुखार मलेरिया बुखार की एक किस्म है. इसे हड्डी तोड़ बुखार (Bone Breaking Fever) भी कहते हैं. ये मादा मच्छर के काटने से होता है. इसके असर से मरीज कमजोर हो जाते हैं. अगर वक्त रहते बीमारी की पहचान हो जाए तो स्वस्थ्य होने की 90 फीसद संभावना बढ़ जाती है. ऐसा विशेषज्ञों का दावा है. लापरवाही मरीज के लिए घातक भी साबित हो सकती है.
डेंगू बुखार दो चरणों में थोड़े अंतराल से आता है. पहले चरण में रोगियों को बुखार, सख्त सिर दर्द, आंखों में जलन, गले में सूजन और जलन, हड्डियों में जोर का दर्द, गर्दन में ऐंठन, भूख का ना महसूस होना, जिस्म का ढीला पड़ जाना, सांस लेने में दिक्कत जैसे अनुभव होते हैं. बीमार पड़ने पर शरीर का तापमान 106 डिग्री हो जाता है. इस दौरान मरीज का बदन टूटने लगता है. ऐसा 3 से 5 दिनों तक महसूस होता है. पांचवां दिन गुजरने पर मरीज को लगता है कि बुखार कम हो गया है. लेकिन अचानक बुखार दोबारा अपनी चपेट में ले लेता है.
दूसरा चरण पहले चरण से ज्यादा दर्दनाक होता है. इस दौरान पीड़ित की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है. दोबारा बुखार आने पर मरीज की आंत और पेट में दर्द, चेहरे का रंग पीला पड़ना, खून का आना, रोगी के शरीर पर लाल दाने जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
डेंगू बुखार को कैसे पहचानें -
डेंगू बुखार के दूसरे चरण में आरबीसी टूट जाते हैं. प्लेटलेट्स 150 लाख से गिरकर 90 हजार या 95 हजार तक रह जाता है. ऐसे में क्लीनिक टेस्ट से ही इस बीमारी की पुष्टि हो सकती है. विशेषज्ञ डॉक्टर ही रोग के लक्षण, क्लीनिक रिपोर्ट देखकर बता सकता है कि मलेरिया है, टायफायड है या फिर डेंगू बुखार.
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