नई दिल्लीः जिंदगी अनिश्चितता से भरी हुई है. कोई नहीं जानता कब क्या हो जाए. उसी अनिश्चितता को दूर करने के लिए बीमा या इंश्योरेंस सुरक्षित भविष्य के काम आता है. जीवन का बीमा हो, वाहन का बीमा हो या फिर स्वास्थ्य का बीमा. ये आपको किसी अनहोनी घटना के हो जाने पर चिंता दूर करने के काम आता है. लेकिन सिर्फ बीमा कराना ही काफी नहीं होता. बल्कि किसी भी तरह का आपने बीमा कराया है, उसका कैसे क्लेम किया जाए, इसके बारे में भी जानना जरूरी है. अगर आप पहले से जानकारी रखेंगे तो आपका पैसा समय पर मिलने की संभावना बढ़ जाती है. वर्ना क्लेम के बाद भी आपके समय की बर्बादी और परेशानी तय है. हम आपको यहां बता रहे हैं स्वास्थ्य बीमा क्लेम के तरीकों के बारे में.
किस तरह आप उठा सकते हैं सुविधा का लाभ-
बीमा कंपनियां दो तरह से क्लेम निपटारे की सुविधा देती हैं. पहला कैशलेस और दूसरा इलाज के खर्च की वापसी. कैशलेस सुविधा के विकल्प के तहत कंपनी की तरफ से लिस्टेड अस्पताल में ही इलाज कराने की सुविधा होती है. यहां इलाज कराने पर आपकी प्रीमियम राशि के हिसाब से अस्पताल बीमा कंपनी से क्लेम कर लेता है.
अब दूसरे विकल्प पर बात कर लेते हैं. मान लीजिए आपकी बीमारी का इलाज कंपनी की तरफ से लिस्टेड अस्पताल में नहीं है, तब आप दूसरे अस्पताल में इलाज करा सकते हैं. ऐसी स्थिति में इलाज का खर्च रोगी को खुद वहन करना होगा. बाद में आपके इलाज पर आनेवाले खर्च की रकम क्लेम कर हासिल की जा सकती है. जिस वक्त आप क्लेम के लिए फॉर्म भर रहे होंगे, ऑफलाइन या ऑनलाइन ओरिजनल बिल बीमा कंपनी को जमा करना होगा. जिसमें डॉक्टरी रिपोर्ट, डायग्नोसिस रिपोर्ट, इलाज पर होनेवाले खर्च का बिल और डिस्चार्ज रिपोर्ट शामिल है. बिल लेते वक्त अस्पताल की मुहर और हस्ताक्षर सुनिश्चित कर लें. उसके बाद बीमा कंपनी या थर्ड पार्टी को सौंप दें. बीमा कंपनी चंद दिनों में आपके क्लेम की रकम आपके बैंक अकाउंट में डाल देगी.
हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त बीमा कंपनी का कौन-कौन से अस्पताल से टाई अप है, कंपनी कौन-कौन सी बीमारी पर हेल्थ कवर दे रही है, प्लान के समाप्त होने की अवधि कब है, इन सबके बारे में पहले से जानकारी रखें तो बेहतर है.
ये खबर रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.