Stockholm Syndrome: क्या होता है स्टॉक होम सिंड्रोम, जिसमें किडनैपर से ही प्यार करने लगते हैं लोग
स्टॉकहोम सिंड्रोम पर कई फिल्में बनी हैं लेकिन फिर भी लोग इसके बारे में कम ही जानते हैं. इसमें बंदी को अपने ही किडनैपर से लगाव हो जाता है.
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Stockholm Syndrome: विदेशों में अक्सर किडनैपिंग को लेकर कई तरह की फिल्में बनती है. ऐसी फिल्में जिसमें हीरोइन को अपने किडनेपर (love with kidnapper)से ही प्यार हो जाता है. बॉलीवुड में भी आलिया भट्ट की हाईवे नाम की मूवी आई थी जिसमें आलिया को अपने किडनैपर रणदीप हुड्डा से प्यार हो जाता है.
अपने किडनैपर या खुद को दुख देने वाले किसी व्यक्ति से प्यार होना दरअसल हैरान तो करता है लेकिन ये एक मेडिकल कंडीशन है जिसे स्टॉकहोम सिंड्रोम (stockholm syndrome)कहा जाता है. चलिए आज इस अजीबोगरीब मानसिक प्रवृत्ति (mental condition)के बारे में जानते हैं.
क्या है स्टॉकहोम सिंड्रोम?
स्टॉकहोम सिंड्रोम ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें व्यक्ति खुद को अगवा करने वाले, दुख देने वाले, बंधक बनाने वाले या आधिपत्य जमाने वाले व्यक्ति से हमदर्दी और प्यार हो जाता है. आप भी हैरान होते होंगे कि जो अगवा कर रहा है, उससे प्रेम और लगाव कैसे हो सकता है. लेकिन ये सच है, दरअसल इस मानसिक स्थिति में व्यक्ति अपने किडनैपर से इमोशनली जुड़ जाता है, इतना जुड़ जाता है कि उससे प्यार करने लगता है और उसके साथ रहना चाहता है.
देखा जाए तो ये मेडिकल कंडीशन किडनैपर और किडनैप किए गए व्यक्ति दोनों पर ही लागू हो सकती है. कभी किडनैपर को बंदी से लगाव हो जाता है और कभी बंदी को किडनैपर से लगाव हो जाता है. ऐसा तब होता है जब किडनैपर बंदी को मारने या हैरेस करने की बजाय उसे जिंदा रखता है और उसका सही से ख्याल रखता है.
इमोनशनली जुड़ जाते हैं पीड़ित और किडनैपर
आपको बता दें कि इस सिंड्रोम का नाम स्वीडन के मनोविज्ञानी निल्स बेज़रोट ने रखा था. मेडिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि जब कोई लंबे समय तक किसी के पास किडनैप रहता है तो साथ रहते रहते किडनैपर और किडनैप हुए व्यक्ति के बीच पॉजिटिव इमोशन बनने लगते हैं.
किडनैप हुआ व्यक्ति पहले से PTSD, चिंता, और अवसाद से जुड़ा हो तो ये सिंड्रोम तेजी से हावी होता है. किडनैप हुए व्यक्ति को लगता है कि जिसने उसे किडनैप किया है,वो उसको जिंदा रख रहा है और वो उसका ख्याल रख रहा है. देखा जाए तो ये अकेलेपन के बीच पैदा हुआ साइकोलॉजिकल रिएक्शन होता है जिसका असर दोनों पर पड़ता है.
स्टॉकहोम सिंड्रोम के रिस्क
स्टॉकहोम सिंड्रोम किसी भी व्यक्ति की मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक है. इसमें व्यक्ति का बिहेवियर बदल जाता है और वो किडनैपर को बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है. पीड़ित व्यक्ति अपनी आजादी, अपने विचार और अपने अस्तित्व को सही से पहचान नहीं पाता है और वो किडनैपर के प्रति वफादार और कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हो जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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