किडनी ट्रांसप्लांट की नौबत कब आती है, किडनी कौन डोनेट कर सकता है, क्या है इसका पूरा प्रोसेस?जानिए सबकुछ
जब किसी व्यक्ति की दोनों ही किडनी खराब हो जाती है,उसको जीने के लिए डायलिसिस की जरूरत पड़ती है तब ऐसे में किडनी ट्रांसप्लांट ही पक्का और सटीक इलाज है.
Kidney Donation: किडनी शरीर का एक ऐसा अंग है जो सही ना रहे तो इंसान ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह सकता. किडनी फेलियर होने के चलते इंसान की मौत हो जाती है हालांकि विज्ञान अब काफी तरक्की कर चुका है और अब किडनी ट्रांसप्लांट करके लोगों की जान बचाई जा सकती है,हमारे शरीर में दो किडनियां होती है इन में से अगर एक किडनी खराब भी हो जाए तो इंसान जिंदा रहता है और जब किसी व्यक्ति की दोनों ही किडनी खराब हो जाती है,उसको जीने के लिए डायलिसिस की जरूरत पड़ती है तब ऐसे में किडनी ट्रांसप्लांट ही पक्का और सटीक इलाज है.
ऐसे पेशेंट किसी मृत इंसान की किडनी पाने के लिए रजिस्टर्ड करते हैं, लेकिन मृत इंसान की किडनी मिलना आसान नहीं होता, इसलिए कोई जीवित इंसान अपनी दोनों किडनी में से एक किडनी अपनी मर्जी से डोनेट करता है, तब किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है, इससे किडनी की बीमारी हमेशा के लिए ठीक हो सकती है.
कौन डोनेट कर सकता है किडनी?
देश में ऑर्गन डोनेशन यानी अंग डोनेट करने को लेकर कानून है, इसके अनुसार बीमार इंसान के फर्स्ट डिग्री रिश्तेदार यानी मां-बाप, सगे भाई-बहन,बेटा-बेटी अपनी मर्जी से किडनी डोनेट कर सकते हैं. इसके अलावा दादा-दादी, नाना-नानी, पोता-पोती, नाती-नातिन भी किडनी दे सकते हैं, पति-पत्नी भी अपनी मर्जी से किडनी दे सकते हैं.इनके अलावा कोई और रिश्तेदार अगर अपनी मर्जी से किडनी देना चाहता है तो एक कमेटी उनका इंटरव्यू लेती है, सारी जांच करने के बाद उनको भी परमिशन मिल जाती है.बता दें कि दोस्त भी किडनी दे सकते हैं अगर उनको कमेटी से परमिशन मिल जाए तभी.
किडनी डोनेट करने का प्रोसेस क्या है
पहले डोनर को ढूंढना होता है और वो भी अपने मर्जी से जब किडनी डोनेट करें तभी किडनी लेना चाहिए.
डोनर का ब्लड ग्रुप चेक किया जाता है, डोनर का ब्लड ग्रुप पेशेंट से मिलता है तो अच्छी बात है, लेकिन आजकल बिना ब्लड ग्रुप मिले में भी किडनी डोनेट की जा सकती है.
किडनी डोनेट करने वाले के पास दो किडनी होनी चाहिए, दोनों का नार्मल काम करे जरूरी है, तभी एक किडनी निकाली जाती है ,ऐसे में डोनर को कोई नुकसान नहीं होता है.
किडनी डोनेशन में कितना वक्त लगता है
किडनी डोनेट करने में 2 से 3 हफ्ते का समय लगता है, क्योंकि सबसे पहले किडनी डोनेशन करने वाले व्यक्ति की पूरी जांच होती है और इसके बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत दस्तावेजों को तैयार किया जाता है. सब कुछ सही होने पर सर्जरी के माध्यम से किडनी को निकाला जाता है. सर्जरी के बाद डोनर को लगभग 4 से 5 दिन तक अस्पताल में रखा जा सकता है उसके बाद उसे डिस्चार्ज किया जाता है.
किडनी डोनेशन कैसे होता है
किसी भी व्यक्ति की किडनी डोनेशन के लिए दोनों में से कोई एक किडनी ली जा सकती है. डॉक्टर्स पूरी तरह से शरीर की जांच करने के बाद डोनेशन के लिए किडनी निकालते हैं. डोनेशन से पहले मरीज की जांच के लिए किडनी के स्प्लिट फंक्शन का आकलन रेनोग्राम टेस्ट किया जाता है, जांच में जब सब कुछ सही होता है तभी व्यक्ति किडनी डोनेट कर सकता है.
किडनी डोनर को किन बातों का ख्याल रखना जरूरी है
- वजन मेंटेन रखना चाहिए
- ब्लड प्रेशर जैसी समस्या है तो दवा से कंट्रोल होना चाहिए
- शराब सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिए.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
यह भी खाएं: आपकी किचन में रखी हैं डायबिटीज टाइप-2 को पूरी तरह ठीक करने वाली ये 5 दवाएं, हाई ब्लड शुगर की होगी छुट्टी
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )