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जानिए क्यों बढ़ता जा रहा है नींद में खलल, आखिर क्यों लोग हो रहे हैं स्लीप डिसऑर्डर के शिकार ?
Sleep Pattern: कोरोना काल के बाद बढ़ते तनाव और भागदौड़ ने लोगों की नींद हराम कर दी है. जानिए क्यों खराब हो रहा है नींद का पैटर्न.
Disturbed Sleep Pattern: दिन भर के कामकाज के बाद रात को बिस्तर पर एक सही और भरपूर नींद जरूरी है. लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, बदलता लाइफस्टाइल और मोबाइल का ज्यादा यूज हमारी नींद में खलल डाल रहा है. नींद की कमी और बार बार नींद टूटने की समस्या अब आम हो गई है और स्लीप डिसऑर्डर लगातार लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. चलिए जानते हैं कि नींद में खलल के पीछे क्या कारण हैं और आप कैसे भरपूर नींद ले सकते हैं.
कम होती नींद बन गई है आम परेशानी
कोरोना काल के बाद स्लीप डिसऑर्डर के रिस्क काफी बढ़ गए हैं. तनाव, काम का प्रेशर, अल्कोहल, असंतुलित लाइफस्टाइल और मोबाइल ने लोगों की नींद में बाधा डालने का काम किया है. कोरोना काल के बाद घर ही लोगों का दफ्तर बन गया है और यहां कई सारे इलेक्ट्ऱानिक डिवाइस चलते रहते हैं. मोबाइल और लैपटाप में जलने वाली नीली लाइट भी नींद में काफी बाधा डालती है. अगर ये नीली लाइट दो घंटे से ज्यादा एक्सपोजर में रहे तो इससे दिमाग पर असर पड़ता है और नींद में कमी आती है. ये नीली लाइट दिमाग में अच्छी नींद लाने में सहायक हार्मोन मेलाटोनिन को बनने से रोकता है और इसका नतीजा ये निकलता है कि लाख कोशिश करने के बाद भी भरपूर नींद नही आ पाती.
दिन में सात से आठ घंटे की नींद है जरूरी
डॉक्टर कहते हैं कि दिन में सात से आठ घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए. इतनी नींद लेने के बाद इंसान का दिन भरपूर एनर्जी के साथ गुजरता है और उसका दिमाग भी सही तरीके से काम कर पाता है. लेकिन तनाव और अन्य कारणों से अच्छी क्वालिटी की नींद मुश्किल होती जा रही है. नींद के सात से आठ घंटों में चार से पांच घंटे की गहरी नींद का पैटर्न भी सेहत के लिए जरूरी है. हमारी नींद का साइकिल लाइट पर निर्भर करता है. रात होने पर शरीर में नैचुरली मेलाटोनिन बनता है और नींद आ जाती है. लेकिन जब नीली लाइट जलती है तो मेलाटोनिन नहीं बन पाता और इससे नींद स्वाभाविक रूप से नहीं आ पाती.
लेट नाइट सोने वालों को होती है ये परेशानी
नींद का एक्स्ट्रीम लेवल रात के दो बजे होता है और धीरे धीरे सुबह होने तक नींद का चरम कम होने लगता है. ऐसे में जो लोग रात को देर से सोते हैं,उनका नैचुरल नींद का साइकिल बिगड़ जाता है और इसका दिमाग के साथ साथ सेहत पर भी असर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि सही और भरपूर नींद के लिए इसके साइकिल को सही रखा जाए. लाइफस्टाइल में बदलाव करके, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का रात के समय कम इस्तेमाल करके हम अपनी नींद को फिर से पा सकते हैं. रात को सही समय पर सोना और भरपूर नींद के लिए कोशिश करना आपके पैटर्न को सही रख सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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