बॉलीवुड एक्ट्रेस कृति सेनन ने अपनी मेंटल हेल्थ को लेकर खुलकर बात की है. उन्होंने बताया कि कुछ दिनों पहले वह एंग्जाइटी जैसी मानसिक बीमारी से गुजर रही थीं. इस बीमारी से खुद को बाहर निकालने के लिए उन्होंने काफी कुछ ट्राई किया. फिलहाल वह इस बीमारी से पूरी तरह से ठीक है. आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानें. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एंग्जायटी  चिंता एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति रोज़मर्रा लाइफस्टाइल की स्थितियों को लेकर लगातार तनावग्रस्त और भयभीत महसूस करते हैं. 


कृति सेनन ने अपनी बीमारी को लेकर किया खुलासा


यह अक्सर व्यक्ति को बेचैन और तनावग्रस्त भी महसूस करा सकता है. जबकि कुछ स्थितियों में चिंता का अनुभव करना सामान्य माना जाता है. अगर यह बार-बार हो रहा है तो इसका इलाज किया जाना चाहिए. साथ ही, विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर देते हैं कि महामारी के दौरान, चिंता और घबराहट के दौरे बढ़ गए, जिसने बदले में, रोज़मर्रा की ज़िंदगी, व्यक्तित्व और यहाँ तक कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया. हाल ही में, कृति सनोन ने भी YouTube वीडियो में चिंता से जूझने के बारे में खुलकर बात की. सबसे पहले, मैं स्वीकार करती हूं कि मैं चिंतित महसूस कर रही हूं. मैं अपने करीबी लोगों से बात करती हूं. मैं कभी-कभी जर्नल भी लिखती हूं. इसलिए मैं जो महसूस कर रही हूँ उसे लिखती हूं. अगर आप किसी से बात नहीं करना चाहते हैं, तो यह अच्छा है कि आप इसे बाहर निकाल दें,” उन्होंने कहा, “ज़िंदगी बड़ी है और आपको छोटी-छोटी चीज़ों के बारे में चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है.


भारत में एंग्जायटी की स्थिति


एक स्टडी में पता चला है कि भारत में हर 100 में से 88 लोग एंग्जाइटी का शिकार हैं. यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है, जो शरीर मेंटली और फिजिकली तौर पर प्रभावित कर सकता है. काम का तनाव या घर-परिवार में चल रही परेशानी को लेकर बहुत ज्यादा चिंता और ओवरथिंकिंग मेंटली और फिजिकली बीमार बना सकता है. इसकी वजह से एंग्जाइटी जैसी समस्या भी हो सकती है. यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है, जो नींद को प्रभावित कर सकता है, मांसपेशियों में तनाव, पाचन की समस्याएं, चिड़चिड़ापन, फोकस करने में दिक्कतें और पैनिक अटैक को बढ़ा सकता है.


हर 100 में से 88 लोग इस मेंटल डिसऑर्डर का शिकार हैं


एक स्टडी में पता चला है कि देश में करीब 88% लोग ऐसे हैं, जो किसी न किसी तरह के एंग्जायटी (Anxiety) की चपेट में हैं. मतलब हर 100 में से 88 लोग इस मेंटल डिसऑर्डर का शिकार हैं. इससे बचने के लिए 3-3-3 रूल (3 3 3 Rule For Anxiety) अपना सकते हैं. इस नियम में आपको अपने दिमाग में कुछ चीजों को लाकर उन पर काम करना है और होने वाले बदलावों को देखना है. इसके लिए देखने, सुनने और करने जैसी तीन बातों पर पूरी तरह फोकस होना पड़ता है. इसका फायदा दिमाग को काफी ज्यादा होता है और एंग्जाइटी की समस्या से बचने में मदद मिलती है.


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एंग्जायटी में होने पर खुद पर कंट्रोल नहीं रहता है, ऐसे में खुद को वहीं रोककर चारों तरफ देखना चाहिए. अपनी आंखों और अपने आसपास नजर वाली चीजों पर ध्यान दें, फिर उन तीन चीजों के बारें में बताइए, जिन्हें आप आसपास देख सकते हैं. अपने आसपास से आने वाली 3 आवाजों को सुनकर उन्हें पहचानने की कोशिश करें. तीनों आवाजों की एक-एक बारीकी पर फोकस करें. तीनों पर सही तरह ध्यान देने के बाद बोले कि आपने क्या-क्या सुना. अब खुद में स्पर्श की भावना लाएं. तीन चीजों को छूकर देखें और फिर अपने शरीर के तीन अंगों को हिलाएं. सबसे पहले अपनी उंगलियों को चलाएं, पैर की उंगलियों को घुमाकर सिर को एक से दूसरी तरफ ले जाएं.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.