Lalu Yadav Health: RJD नेता लालू यादव काफी दिनों से किडनी (Lalu Yadav Kidney Problem) की बीमारी से जूझ रहे हैं. अब खबर यह आ रही है कि लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य जोकि सिंगापुर में रहती हैं. वह अपने पिता को किडनी डोनेट करेंगी. यह खबर बाहर आते ही सोशल मीडिया पर उनकी बेटी की तारीफ हो रही है. इस बात का खुलासा परिवार के करीबी ने किया है. आपको बता दें कि 74 साल के लालू यादव अपनी किडनी की बीमारी का इलाज करवा कर हाल ही में सिंगापुर से लौटे हैं.


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लालू कई तरह की बीमारी से जूझ रहे हैं. यही सब को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर ने उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी है. फैमिली के एक सदस्य ने PTI  को बताया कि सिंगापुर में रहने वाली उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने पिता को किडनी डोनेट करने का फैसला किया है. वहीं दूसरी तरफ इस बात की जानकारी खुद रोहिणी ने अपने ट्विटर हैंडल से भी शेयर किया है. रोहिणी ने लिखा है कि मेरे माता- पिता मेरे लिए भगवान हैं. उनके लिए पूरी जिंदगी कुर्बान हैं. रोहिनी लिखती हैं,' मेरा तो मानना है की ये तो बस एक छोटा सा मांस का टुकड़ा है जो मैं अपने पापा के लिए देना चाहती हूं.पापा के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं.आप सब दुआ कीजिए की सब बेहतर तरीके से हो जाये और पापा फिर से आप सभी लोगों की आवाज़ बुलंद करे. शुभकामनाओं के लिए पुनः एक बार आप सबका आभार.'



क्या है किडनी ट्रांसप्लांट
जिस व्यक्ति की दोनों किडनी खराब हो और हालत नाजुक बनी हुई है तब किडनी ट्रांसप्लांट करने की आवश्यकता पड़ती है. किडनी ट्रांसप्लांट की प्रकिया ऐसी होती है. जब एक स्वस्थ्य व्यक्ति से किडनी लेकर मरीज के शरीर में लगाई जाती है.यह किडनी किसी मृत या जिंदा व्यक्ति की हो सकती है. इसमें जो डोनर होता है उसकी अगर लाइफस्टाइल अच्छी है तो वह एक किडनी पर भी पूरी जिंदगी बिता सकता है. 


कौन किसे दे सकता है किडनी?


कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिसका ब्लड ग्रुप मरीज के बल्ड ग्रुप से मिलता है. वह आराम से किडनी डोनेट कर सकता है. किडनी डोनर की उम्र 18 से 55 के बीच में तो बहुत अच्छा होगा. क्योंकि इस उम्र के लोगों का किडनी हेल्दी किडनी होता है. ऐसे में ट्रासप्लांट होने में दिक्कतें नहीं होगी.


किडनी ट्रांसप्लांट के वक्त कुछ चीजों का जरूर ख्याल रखना चाहिए. पहला आपका किडनी डोनर जिंदा हो और अगर वह आपके फैमिली का जैसे माता-पिता,भाई-बहन, पति-पत्नी, बेटा या बेटी है तो अच्छी बात है. एक मृत किडनी डोनर की तुलना में जिंदा किडनी डोनर ज्यादा अच्छा होता है. ब्लड रिलेशन में किडनी डोनर के फायदे यह है कि आपका शरीर में किडनी ट्रांसप्लांट फेल होने के चांसेस कम हो जाते हैं. 


दो तरह के किडनी डोनर होते हैं


मृत किडनी डोनर- मृत किडनी डोनर ऐसे होते हैं जो अब इस दुनिया में नहीं है. जैसे कोई व्यक्ति किसी दुर्घटना में घायल हो जाते हैं. यह किडनी किसी ऐसे व्यक्ति की होती है जो स्वस्थ होते हैं लेकिन किसी दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो जाती है. भारत में मृत लोगों की किडनी मिलने की संख्या बहुत कम है.


जिंदा किडनी डोनर- व्यक्ति एक किडनी के सहारे जिंदा रह सकता है. अगर किसी व्यक्ति की किडनी खराब हो गई वह ट्रांसप्लांट करवा सकते हैं. लेकिन ट्रांसप्लांट करवाते वक्त यह जरूर ध्यान रखें कि आपका किडनी डोनर आपकी फैमिली या ब्लड रिलेशन में से ही हो. जैसे-माता-पिता, भाई-बहन. ब्लड रिलेशन में अगर डोनर रहेगा तो इसके एक फायदे ये हैं कि यह किडनी आसानी से मेल खासा है.


किडनी ट्रांसप्लांट से पहले डोनर के होते हैं ये टेस्ट
ब्लड टेस्ट
टिश्यू टेस्ट
मरीज और डोनर के खून को मिलाकर ऐंटीबॉडी और ऐंटीजेन्ट्स तैयार किया जाता (इसी पर निर्भर करता है ट्रांसप्लांट होगी या नहीं)