Study On Cancer Deaths: कैंसर (cancer) एक जानलेवा बीमारी है और इसके मामले दुनिया भर में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. महिलाओं के कैंसर की बात करें तो लैंसेट की स्टडी में कहा गया है कि एशिया में कैंसर से महिलाओं (women death due to cancer)की मौत के मामलों में भारत टॉप पर है. लैसेंट की हालिया स्टडी में कहा गया है कि भारत में कैंसर के चलते होने वाली महिला मौतों में 68 फीसदी मामले रोके जा सकते हैं. वुमेन, पावर एंड कैंसर नाम की इस स्टडी में कहा गया है कि अगर भारत में महिलाओं के कैंसर के प्रति जागरुकता होती, इसके लक्षणों की जानकारी और बचाव के साथ साथ इलाज की सही क्वालिटी होती तो महिला कैंसर के चलते होने वाली मौतों का आंकड़ा कम हो सकता था. आपको बता दें कि इस स्टडी में कहा गया है कि अगर महिलाओं में कैंसर की पहचान समय पर हुई होती, इसके लक्षणों की जानकारी सभी को होती और इलाज भी समय पर होता तो महिलाओं की मौतों के आंकड़ों में कमी लाई जा सकती थी.
स्टडी में कहा गया है कि भारतीय समाज में महिलाओं की सेहत के प्रति नजरंदाज करने का माहौल, जागरुकता की कमी, प्राइमरी लेवल पर केयर और अनुभव की कमी के चलते कैंसर के चलते महिलाओं की मौतों का आंकड़ा डरावने स्तर तक बढ़ गया है. डाटा कहता है कि इन मौतों में 6.9 बिलियन मौतें रोकी जा सकती थी और 4.10 बिलियन महिलाओं का सही इलाज हो सकता था. आपको बता दें कि भारत में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के सबसे ज्यादा मामले आते हैं.
मुंबई की एक कैंसर पीड़ित महिला की केस स्टडी
लैंसेट की स्टडी में भारत की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई की एक कैंसर पीड़ित महिला का मामला हाइलाइट किया गया. मुबंई में रहने वाली एक महिला कैंसर केयर के मामले में देश की जेंडर असमानता का उदाहरण बनी. महिला नाला सोपारा में रहती थी और उसे काफी समय से सिर में दर्द रहता था लेकिन उसे कैंसर के लक्षण पता नहीं थे, इसके साथ साथ उसके नशेबाज पति ने भी कभी उसकी बिगड़ती सेहत को लेकर चिंता जाहिर नहीं की. जब उसने सिर में दर्द की शिकायत की तो उसके पति ने उसकी कोई मदद नहीं की. स्थानीय डॉक्टर ने भी इसकी सही जांच करने की बजाज इसे आंख की खराबी बता दिया. तब उसके ससुर जो कि एक विक्रेता हैं, उन्होंने उसे सही मेडिकल जांच उपलब्ध करवाई और उसे कैंसर की जानकारी हुई.
हेल्थकेयर के मामलों में लैंगिक असमानता है बड़ी वजह
भारत में कैंसर के चलते महिलाओं की मौत के बढ़ते मामलों की एक बड़ी वजह लैंगिक असमानता भी है. लैंसेट की स्टडी में कहा गया है कि महिलाएं खुद अपनी सेहत को लेकर चिंता नहीं करतीं, उनकी सेहत उनकी प्रियारिटी में नहीं है और वो अक्सर अपनी बिगड़ती सेहत को नजरंदाज कर देती हैं. इसके अलावा घरेलू हिंसा, गरीबी ऐसी वजहे हैं जिनके चलते महिलाएं कैंसर जैसी बीमारी के इलाज के बारे में सोच नहीं पातीं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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