नई दिल्ली: बच्चों की दिनचर्या बदल रही है. बच्चे देर से सो रहे हैं और सुबह देर से जग रहे हैं. बच्चों की दिनचर्या का अनुशासित न होना कई बीमारियों का कारण बन रहा है. डिप्रेशन, भूख कम लगना, पेट संबंधी दिक्क्तें बच्चों में तेजी से पनप रही हैं. समय रहते यदि ध्यान न दिया गया तो इसके गंभीर परिणाम भी उठाने पड़ सकते हैं.


बच्चों के मामले में माता-पिता की लापरवाही भारी पड़ रही है. बच्चों के खेलने से लेकर खाने-पीने यहां तक कि सोने तक का कोई टाइम टेबल नहीं है. यह आदत नौनिहालों का बचपन छीन रही है. देखा गया है कि बच्चे देर रात तक मोबाइल की स्क्रीन के सामने आंखे काम करत रहते हैं जिससे उनकी आखों और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है.


इसके बाद सुबह स्कूल जाने के लिए जब बच्चे बिस्तर से उठाए जाते हैं तो वे आनाकानी करते हैं. सुबह सही तरह से पेट साफ न होने से इन बच्चों में बचपन से ही कब्ज और पेट संबंधी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. डॉक्टरों की माने तो बच्चों की दिनचर्या बेहद अनुशासित होनी चाहिए ताकि उनका सही विकास हो सके लेकिन अधिकतर माता-पिता इसे अनदेखा कर देते हैं जिस कारण बच्चों में तरह-तरह की बीमारियां पाई जाने लगी हैं.


देर से सोने की आदत बच्चों के लिए सबसे अधिक खतरनाक है. इससे शरीर को आराम नहीं मिलता है जो विकास के लिए जरूरी होता है. जानकार मानते हैं कि बच्चों को रात नौ बजे तक सो जाना चाहिए और सुबह जल्दी उठकर नित्यकामों को पूरा करना चाहिए. इसके साथ ही बच्चों के लिए सुबह की पीटी भी बहुत उपयोगी होती है.


इससे बच्चों में फुर्ती बनी रहती है. आलस्य भी दूर होता है. शरीर की मांसपेशियां भी मजबूत बनती है. याद करने की क्षमता भी बढ़ती है. इसके साथ ही ऐसा भोजन बच्चों को दिया जाना चाहिए जिसे वे आसानी से पचा सके. जंक फूड तो बच्चों को कतई न दें. इससे मोटापा बढ़ता है और दांतों की समस्या पैदा होती है और पेट के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है.