Cancer: ऑस्कर के लिए नामित छेलो शो के चाइल्ड स्टार एक्टर राहुल का निधन हो गया है.10 साल के इस बाल कलाकार को ल्यूकेमिया नामक बीमारी थी. खून में होने वाले इस कैंसर का पता देर से चलता है और जब चलता है तब तक बीमारी पूरी तरह से जकड़ चुकी होती है. उस स्थिति में व्यक्ति का बचना मुश्किल हो जाता है. हालांकि बच्चे और बड़ों में इसके डेवलप होने का फेक्टर अलग- अलग है. राहुल कोली का इलाज गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में चल रहा था. उनकी मौत के बाद लोग ल्यूकेमिया बीमारी पर चर्चा कर रहे हैं आइए जानते हैं?.कैसे बीमारी होती है कवि श्री वारी का पता चलता है और लक्षण और बचाव क्या है?


तेजी से बढ़ती हैं White Blood cells
ल्यूकेमिया बोन मैरो के ठीक से काम न करने पर होता है. बोन मैरो में ही खून बनता है. यह हड्डी के अंदर का मुलायम भाग है। यह एक खून की कोशिका फ़ैक्टरी की तरह काम करता है. खून की सारी कोशिकाएँ यहीं बनती हैं. जब यह ठीक से काम न करें तो ल्यूकेमिया की शुरुआत हो जाती है. ल्यूकेमिया में शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स (सफेद रक्त कोशिकाओं) की संख्या असामान्य रूप से बढ़ जाती हैं.  विशेषज्ञ कहते हैं कि जब सफेद रक्त कोशिकाओं के डीएनए को क्षति पहुंचती है, तो ल्यूकेमिया बीमारी विकसित होती है। इस कैंसर की कोशिकाएं अस्थि मज्जा में बढ़ती हैं और अस्थि मज्जा में रहकर ही स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को सामान्य रूप से बढ़ने और कार्य करने से रोकती हैं. अगर समय पर इलाज न मिले तो जानलेवा भी साबित हो सकती है.


ये हैं symptoms
बुखार, बार-बार इंफेक्शन होना, वीकनेस, थकान, आसानी से खून बहना और घाव का हो जाना, हड्डियों और जॉइंट पेन का होना


यह जांच और इलाज
खून की जांच कराएं, white blood cells बहुत ज्यादा बढ़ी मिले तो तुरंत अलर्ट हो जाएं और डॉक्टर को दिखाएं, इसके अलावा हड्डी के अंदर से बोन मैरो की जांच कराना, छाती का एक्स-रे व अन्य डॉक्टर द्वारा बताई जांच शामिल है. स्टेज के आधार पर ही मरीज को थेरेपी दी जाती हैं.


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