Light Therapy For "SAD": बदलते मौसम के साथ हमारे मूड में बदलाव होता है और इसी को हम कहते हैं सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर. वैसे तो यह कोई भी सीजन में हो सकता है लेकिन ये ज्यादातर सर्दियों में अनुभव किया जाता है. नवंबर-दिसंबर से व्यक्ति के मूड में बदलाव होने लगता है,जैसे मौसम बदलता है वैसे ही लोगों के मूड को प्रभावित करता है. कई लोगों को यह इतना ज्यादा परेशान करता है कि ना ऑफिस जाने का मन करता है ,ना घर का कोई काम निपटाने का मन करता है, हर चीज हमारे आसपास बुरा ही लगता है और कई बार तो हमें यही नहीं पता चल पाता कि मूड खराब होने की वजह क्या है..ये दैनिक जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करता है.
धूप और मूड स्विंग का क्या है कनेक्शन
इस मौसम में कई बार ऐसा भी होता है कि लोग जो काम सोचते हैं वो ना होने पर भी अवसाद हो जाता है, ऐसा इसलिए होता है क्यों कि सर्दियों में हम धूप के संपर्क में नहीं आ तपाते हैं.डॉक्टर एक्सपर्ट के मुताबिक बायोलॉजिकल रूप से अवसाद और धूप के साथ संबंध है. सर्दियों में धूप के ड्यूरेशन और इंटेंसिटी दोनों ही कम हो जाती है. हमारे दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर होता है सेरोटोनिन केमिकल हमारे मूड को रेगुलेट करता ,है उसे सनलाइट एक्स्पोज़र की बहुत जरूरत होती है. आंखों के रेटिना के माध्यम से उसे कितनी सनलाइट मिली इसका पता चलता है ऐसे में जब सर्दियों में धूप का एक्स्पोज़र कम मिलता है, तो दिमाग समझ ही नहीं पाता है कि सेरोटोनिन कहां से प्रोड्यूस किया जाए. इसका सीधा असर हमारे मूड पर पड़ता है.इसी वजह से नींद नहीं आती है, बेवजह भूख लगती रहती है, जंक फूड खाने का मन करता है, वजन बढ़ता है और हम बेवजह सैड भी हो जाते हैं, फिर ना कोई काम करने में दिल लगता है ना ही हम कुछ अच्छा सोच पाते हैं.
लाइट थेरेपी से सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर ठीक कर सकते हैं
- जानकारी के मुताबिक लाइट बॉक्स के माध्यम से दिमाग को रोशनी की खुराक दी जा सकती है. इसे लाइट थेरेपी कहते हैं. मार्केट में या ऑनलाइन इसे आप खरीद सकते हैं. लाइट थेरेपी लेने के लिए ध्यान रहे कि बॉक्स की लाइट इंटेंसिटी 10,000 लक्स से ऊपर होनी चाहिए. वैलनेस सेंटर के परामर्श से इसको उपयोग में लिया जा सकता है
- लाइट थेरेपी मौसमी अवसाद के इलाज में मदद कर सकती है. इसके लिए आपको लाइट थेरेपी का एक सत्र लगभग 30 मिनट का लेना होता है. इसमें आपको एक लाइट बॉक्स के सामने बैठना होता है
- अगर मूड स्विंग अधिक होता है तो दिन में 2 बार इसके सामने बैठे. एक घंटा सुबह और एक घंटा शाम. इससे आपके दिमाग को किक मिलेगी और जो धूप से रोशनी नहीं मिल पा रही थी उसकी कमी पूरी होगी. इससे सेरोटोनिन रिलीज होगा और आपका मूड भी बदल जाएगा आप दिनभर अच्छा महसूस करेंगे.
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