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Long Covid Risk: आपके भी हुआ है कोरोना तो हो सकते हैं दिमाग की इस बीमारी के शिकार, ऐसे करें बचाव
न्यूरोसर्जरी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग पहले से ही COVID से संक्रमित हैं उनमें स्ट्रोक के गंभीर होने की संभावना अधिक होती है.
Risk Of Long Covid: पिछले कुछ सालों से कोरोना वायरस ने तबाही मचा रखी है. लाखों लोगों की मौत हो चुकी है, तो कई देशों की इकोनॉमी दस साल पीछे चली गई है. अब बीते कुछ महीनों से लॉन्ग कोविड एफेक्ट भी लोगों की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.लॉन्ग कोविड यानी कोरोना से ठीक होने के बाद भी शारीरिक और मानसीक परेशानियों से जूझना. दिल के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने से लेकर दिमाग को जोखिम में डालने तक, लंबे समय तक कोविड जीवन के लिए एक बड़ा जोखिम बना हुआ है. एक बार जब आपको लगता है कि COVID खत्म हो गया है, तो उसी पल कोविड आपको नए जोखिम के साथ चौंका देता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों ने भी आखिरकार लंबे समय तक COVID के अस्तित्व को स्वीकार किया है और मानव जाति पर इसके प्रभावों को लेकर चिंता जताई है.
बढ़ सकता है स्ट्रोक का खतरा
न्यूरोसर्जरी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग पहले से ही COVID से संक्रमित हैं उनमें स्ट्रोक के गंभीर होने की संभावना अधिक होती है. कोरोना का संक्रमण माइल्ड ही क्यों ना रहा हो लेकिन कोई भी इस संक्रमण की चपेट में आया है तो हार्टअटैक और ब्रेन स्ट्रोक की संभावना पैदा हो जाती है. रिपोर्ट्स बताती है कि दिल से जुड़ी समस्याओं और न्यूरोलॉजिकल मामलों में 60% तक इजाफा हुआ है.
स्ट्रोक से जुड़ी ये हैं कुछ निशानियां
1.चेहरे हाथ या पैर में कमजोरी सुन्नता महसूस होना
2.शरीर के एक तरफ के अंगो का काम करना बंद कर देना
3.बोलने में परेशानी होना और साफ नहीं बोल पाना
4.आंखों से कम या धुंधला दिखाई देना
5.चक्कर आना या हाथ पैरों का संतुलन ठीक से नहीं हो पाना
कोविड संक्रमितों में इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा :स्टडी
सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के किए गए एक अन्य अध्ययन में कहा गया है, जिन लोगों में वायरस था, उनमें इस्केमिक स्ट्रोक से पीड़ित होने की संभावना 50% अधिक थी.जब मस्तिष्क के हिस्से में रक्त का प्रभाव ठीक से नहीं हो पाता है और रक्त का प्रभाव बाधित होता है तब स्ट्रोक या मस्तिष्क के दौरे की स्थिति आती है.यह इस्केमिक स्ट्रोक होता है जब ऑक्सीजन युक्त रक्त को मस्तिष्क तक ले जाने वाली धमनियों में ब्लॉकेज हो जाता है. धमनियों में रक्त का थक्का बन जाता है जिससे मस्तिष्क तक रक्त का प्रभाव नहीं होता है और इस्केमिक स्ट्रोक होता है यह थक्का इसलिए बनता है क्योंकि रक्त वाहिकाओं में फैट जम जाता है.
वेनस थ्रोम्बोम्बोलिज़्म से हार्ट अटैक की संभावना
कई अध्ययनों में पाया गया है कि वेनस थ्रोम्बोम्बोलिज़्म- एक गंभीर प्रकार का रक्त का थक्का COVID संक्रमित रोगियों में देखे जाने की अधिक संभावना होती है, जिससे आपके शरीर के अंगों पर प्रभाव पड़ सकता है. ये एक ऐसी गंभीर हेल्थ समस्या है जिससे आपको हार्ट अटैक और स्ट्रोक भी हो सकता है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक बड़े शोध अध्ययन में यूके में 54,000 लोगों पर 4 महीने से अधिक समय तक अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया कि जो लोग COVID से संक्रमित थे, उनमें वेनस थ्रोम्बोम्बोलिज़्म विकसित होने की संभावना 2.7 गुना अधिक थी. स्ट्रोक के अलावा, कोविड मस्तिष्क को कई अन्य तरीकों से प्रभावित करता है. कोविड के बाद याददाश्त संबंधी शिकायत अवसाद, चिंता और माइग्रेन सिरदर्द जैसी जटिलताओं को भी देखा जा सकता है. इसके अलावा मूवमेंट डिसॉर्डर, देखने और सुनने में परेशानी सहित कई गंभीर समस्या हो सकती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोविड के बाद आप अपने शरीर में कोई भी बदलाव महसूस करते हैं तो अपने आपको हमेशा अपडेट रखें. अपने लक्षणों के बारे में डॉक्टर से जरूर बताएं.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion