Non Smokers Lung Cancer: सिगरेट ना पीने वाले लोगों को भी हो सकता है लंग कैंसर, ये है सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर्स
'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक कैंसर से होने वाली मौतों में लंग्स कैंसर के मरीज सबसे ज्यादा है. आंकड़ों के मुताबिक 22 लाख लोगों की मौतें सिर्फ फेफड़ों वाले कैंसर से हुई है.
'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक कैंसर से होने वाली मौतों में लंग्स कैंसर के मरीज सबसे ज्यादा है. आंकड़ों के मुताबिक 22 लाख लोगों की मौतें सिर्फ फेफड़ों वाले कैंसर से हुई है. इस डेटा से यह साफ होता है कि लंग्स कैंसर एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. फेफड़ों के कैंसर के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है. दुनिया ने तीन साल तक कोरोना महामारी को झेला है. इस दौरान कोरोना के जो मरीज थे उनका सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है. यह वायरस सीधा फेफड़ों पर हमला करता है. आज हम आपको बताएंगे ऐसे क्या कारण है जो फेफड़ें के कैंसर का कारण बनता है.
लंग्स कैंसर के कारण?
फेफड़ें के कैंसर का कारण सिगरेट, बीड़ी और दूसरी तरह की तम्बाकू है.
हवा प्रदूषण, तंबाकू के कारण लंग कैंसर होने की संभावना होती है.
सेकंडहैंड स्मोकिंग- इसका साफ अर्थ है जो सिगरेट पी रहा है उसके आसपास खड़े रहना.
मौसम और तापमान में होने वाले बदलाव जिससे सांस संबंधी बीमारियां होती है
जेनेटिक कारण
बिना स्मोकिंग किए भी हो सकता है लंग कैंसर?
सिगरेट पीने से लंग कैंसर का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है लेकिन हालिया रिसर्च में यह बात सामने आई है कि स्मोकिंग न करने वालों का भी लंग्स कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. लंग कैंसर इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप कितनी देर तक स्मोकिंग या तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं. जो लोग स्मोकिंग करने के बाद छोड़ देते हैं उन्हें लंग कैंसर होने का रिस्क कम हो जाता है. यह स्टडी लंदन के फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी के मुताबिक स्मोकिंग नहीं करने वालों को भी लंग्स कैंसर हो सकता है.
सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर
इस रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो लोग एकदम से कभी भी सिगरेट नहीं पीते हैं उन्हें भी लंग्स कैंसर होता है. इसका साफ और एकमात्र कारण है प्रदूषण. दुनियाभर में 99 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन्हें खराब हवा की क्वालिटी के काऱण लंग्स कैंसर हुआ है और वह एक बहुत बड़ा रिस्क फैक्टर है.
सिगरेट न पीने वालों में भी लंग्स कैंसर का खतरा
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के एक्सपर्ट्स का कहना है कि धूम्रपान या फिर सेकेंड हैंड स्मोकिंग यानी सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने से भी फेफड़े का कैंसर का खतरा रहता है. संयुक्त राज्य अमेरिका में करीब 10-20 प्रतिशत लंग्स कैंसर ऐसे लोगों में पाया गया है, जिन्होंने कभी धूम्रपान को हाथ तक नहीं लगाया है. ऐसे लोगों में एडेनोकार्सिनोमा कैंसर के ज्यादा केस देखने को मिले हैं. इस तरह का कैंसर कोशिकाओं में शुरू होकर फेफड़ों की छोटी वायु थैलियों तक हपुंच जाता है. कभी-कभी फेफड़ों के अंदर की पतली सपाट कोशिकाओं में भी यह फैल जाता है.
धूम्रपान न करने वाले में क्यों बढ़ रहा लंग्स कैंसर का खतरा
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भले ही कोई धूम्रपान नहीं करता है लेकिन कुछ पर्यावरणीय स्थितियां ऐसी बन जाती हैं, जिनकी वजह से फेफड़े का कैंसर बढ़ सकता है. सेकेंड हैंड स्मोकिंग इसका एक प्रमुख कारण है. ऐसे में उन लोगों में भी लंग्स कैंसर का ज्यादा खतरा रहता है, जो धूम्रपान के धुएं के संपर्क में रहते हैं. रेडॉन, वायु प्रदूषण और फैमिली हिस्ट्री की वजह से भी फेफड़े का कैंसर हो सकता है. इसलिए हर किसी को अलर्ट रहना चाहिए.
कभी धूम्रपान न करने वालों में लंग्स कैंसर के लक्षण
ऐसे लोग जो कभी सिगरेट-बीड़ी नहीं पीते हैं, क्या उनमें लंग्स कैंसर के लक्षण अलग होते हैं. इसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि स्मोकर्स और नॉन स्मोकर्स दोनों में फेफड़ों के कैंसर के लक्षण समान होते हैं. हर समय थकान महसूस होती है, बार-बार खांसी आती है, खांसी के साथ खून आने या सीने में दर्द, घरघराहट या सांस लेने में परेशानी हो सकती है.
धूम्रपान न करने वालों लंग्स कैंसर के खतरे से कैसे बचें
हेल्थ एक्स्पर्ट्स कहते हैं कि सेकेंड हैंड धुएं, गाड़ियों से निकलने वाले धुएं और वायु प्रदूषण-रसायनों से दूर रहकर आप अपने फेफड़ों की सुरक्षा कर सकते हैं और लंग्स कैंसर का खतरा कम कर सकते हैं. घर में रेडॉन का परीक्षण करवाना चाहिए. अगर इसका लेवल ज्यादा है तो उससे बचाव के कदम उठाने चाहिए. अगर परिवार में किसी को पहले से ही यह समस्या है तो समय रहते डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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