फेफड़े की गांठ को 'पल्मोनरी नोड्यूल' के नाम से जाना जाता है. दरअसल, जब लंग्स पर मांस के टुकड़े का गांठ बन जाते हैं. फेफड़े की गांठ 30 मिमी के साइज तक का हो सकता है. जब इसकी शुरुआती जांच यानि एक्स-रे या सीटी स्कैन की जाती है तो सफेद रंग का धब्बा दिखाई देता है.
फेफड़ों की गांठों के लक्षण कुछ इस तरह के दिखाई देते हैं. फेफड़े की गांठ एक कैंसर का कारण बन सकता है. इसके ठीक होने की संभावना होती है. फेफड़ा छोटा होता है इसलिए जब उसमें कैंसर होता है तो महीनों की निगरानी के बाद ठीक हो जाती है.
फेफड़ों में गांठें कैसे पाई जाती हैं?
फेफड़ों में गांठें तीन अलग-अलग तरह की पाई जाती है जिसका पता स्कैन करके लगाया जा सकता है. फेफड़ों के कैंसर के जब शरीर पर लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे सीटी स्कैन और स्क्रीनिंग की सलाह दी जाती है.
फेफड़ों में गांठें क्यों होती हैं?
फेफड़ों में गांठ बनने के कई कारण हो सकते हैं
फेफड़ों के टिश्यूज का डैमेज होना
फेफड़ों में जलन या वायु प्रदूषण
रुमेटॉइड गठिया और सारकॉइडोसिस जैसी बीमारियों से होने वाली सूजन की स्थिति
हिस्टोप्लाज़मोसिस और टीबी के संक्रमण
फेफड़ों के कैंसर के लिए सबसे आम जोखिम कारक तंबाकू के धुएं और रेडॉन गैस के संपर्क में आना है.
क्या आपके फेफड़ों में एक से ज़्यादा नोड्यूल हो सकते हैं?
फेफड़ों में नोड्यूल अगर होता है वह कैंसर और नॉनकैंसर्स दोनों ही हो सकता है. सीटी स्कैन से आप नोड्यूल का पता आराम से लगा सकते हैं. फेफड़ों के नोड्यूल की बायोप्सी का सुझाव दिया जा सकता है. फेफड़ों का कैंसर अक्सर फेफड़ों और छाती में लिम्फ नोड्स में फैलता है तो उसे सर्जरी के जरिए ठीक किया जा सकता है. कौन से लिम्फ नोड्स कैंसर है वह शुरुआती जांच के बाद ही पता चल सकता है.
फेफड़ों में नोड्यूल के लक्षण
थकान, भूख न लगना, रात को पसीना आना, बुखार, वजन घटना, और खांसी जिसमें थूक आता है शामिल हैं. अगर आपको भी शरीर पर ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको सबसे पहले एक्स-रे और सीटी-स्कैन करवाना चाहिए. फेफड़े का ऐब्सेस ठीक होने के पहले कई सप्ताह के लिए एंटीबायोटिक्स लेने पड़ते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
ये भी पढ़ें: International Yoga Day 2024: योग करने के बाद क्या खा सकते हैं और क्या नहीं, देख लीजिए पूरी लिस्ट