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OMG! अधिकत्तर डॉक्टर्स को रहती है ब्लडप्रेशर और डायबिटीज की शिकायत!

नई दिल्लीः इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के द्वारा हाल में कराए चिकित्सक अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं. एक ओर जहां, 46.3% डॉक्टरों को हिंसा के कारण तनाव रहता है, वहीं 24.2% को मुकदमे का डर सताता है. 13.7%  डॉक्टरों को आपराधिक मामला चलाए जाने से चिंता बनी रहती है. क्या कहता है सर्वे- यह सर्वे हाल ही मेडिकल प्रोफेशन में हुई कठिनाइयों को लेकर कराया गया था, जिसमें सबसे चिंताजनक बात डॉक्टर्स पर होने वाले हमलों और आपराधिक मामले दर्ज कराने को लेकर है. इस मामले में डॉक्टरों की चिंता को इसी बात से समझा जा सकता है कि 56% डॉक्टेर्स हफ्ते में कई दिनों तक सात घंटे की सामान्य नींद भी नहीं ले पाते हैं. कैसे करवाया गया सर्वे- सर्वे करीब 15 दिनों में ऑनलाइन तरीके से कराया गया, जिसमें 1681 डॉक्टर्स ने अपना फीडबैक दिया. इनमें निजी ओपीडी, नर्सिंग होम्स, कॉर्पोरेट या गर्वमेंट हॉस्पिटल्स में कार्यरत जनरल प्रैक्टिस्नर, डॉक्टर्स, सर्जन, गाइनोक्लोजिस्ट और अन्य एक्सपर्ट शामिल हैं. क्या कहते हैं डॉक्टर्स- यह आंखें खोल देने वाला सर्वे है, जो डॉक्टर्स की मौजूदा हालत को दर्शाता है. सर्वे में भाग लेने वाले करीब 62.8% डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें अपने मरीजों को देखते समय हर वक्त हिंसा का भय सताता है, जबकि 57.7% को लगता है कि उन्हें अपने परिसर में सुरक्षा कर्मियों को नियुक्त कर लेना चाहिए. क्या कहते हैं एक्सपर्ट- आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "मेडिकल प्रोफेशन एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है और इसकी गरिमा दांव पर लगी है. आज इसे अन्य बिजनेस की तरह ही समझा जाता है और डॉक्टर भी अन्य लोगों की तरह असुरक्षित, असंतुष्ट और अपने भविष्य को लेकर चिंतित महसूस करते हैं. सर्वे से ये बात सामने आई है कि डॉक्टर अपने काम से खुश नहीं हैं और ज्यादा चिंता इस बात को लेकर रहती है कि मरीजों का उन पर पहले जैसा भरोसा नहीं रहा है." उन्होंने कहा, " डॉक्टर्स के मन में हर वक्त भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक हमलों का भय छाया रहता है. सर्वे में भाग लेने वाले आधे से अधिक डॉक्टारों ने माना कि उन्हें निरंतर चिंता बनी रहती है. इनमें से कुछ तो बिल्कुल नहीं चाहते कि उनके बच्चे भी इस पेशे को अपनाएं. अधिकांश डॉक्टरों का मत था कि उन्होंने चिकित्सा का पेशा इसलिए चुना, क्योंकि उन्हें यह प्रोफेशन आइडियल लगता था, हालांकि अब यह पहले जैसा आइडियल काम नहीं रहा." डॉक्टर्स को हैं ये बीमारियां- यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि अधिकांश डॉक्टरों को ब्लडप्रेशर और डायबिटीज की शिकायत है. करीब 76.3% डॉक्टरों को चिंतित रहने की शिकायत है. इन वजहों से हुए हमले- आईएमए के एक पूर्व अखिल भारतीय अध्ययन के अनुसार, डॉक्टर्स पर सबसे अधिक हमले आपातकालीन सेवाएं देते समय होते हैं, जिनमें से 48.8% घटनाएं आईसीयू में ड्यूटी के दौरान हुई हैं या फिर तब जब मरीज की सर्जरी हो रही थी. ज्यादातर ऐसे मामलों में हमलों की वजह अधिक जांच कराना और मरीज को देखने में देरी होना रहा है. क्या कहते हैं मरीज- सर्वे से ज्ञात हुआ कि मरीजों को उम्मीद होती है कि डॉक्टर उनसे अच्छे से पेश आएंगे. करीब 90% मरीज चाहते हैं कि डॉक्टर पहले अपना परिचय दें, मरीज को पहचानें, उसकी बात को ध्यान से सुनें, पूरी जानकारी ठीक से दें और जांच और चिकित्सा के तरीके के बारे में भलीभांति मरीज को समझाएं. साथ ही डॉक्टरों से यह भी उम्मीद की जाती है कि वे मरीज से पूछें कि उन्हें बात समझ में आई या नहीं. करीब 40% मरीजों ने कहा कि वे डॉक्टर से यह भी उम्मीद करते हैं कि वे इलाज का अवसर देने के लिए मरीज को धन्यवाद दें. वहीं डॉक्टरों को भी सावधान रहने की जरूरत है. मरीज से ठीक से बात कीजिए, ध्यान से उसकी बात सुनिए, इलाज के बारे में समझाइए और मुस्कराते हुए मरीज का शुक्रिया भी अदा कीजिए.

नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.

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