मलेरिया का स्ट्रेन दवाओं के असर को कर सकता है बेकार, डॉक्टरों ने दी ये खास सलाह
डॉक्टरों ने मलेरिया की दवा के प्रतिरोध को रोकने के लिए तेजी से काम किए जाने की जरूरत बताई और कहा कि नई दवाओं की खोज और सर्विलांस के साथ दूसरे उपाय किए जाने चाहिए.
मलेरिया का स्ट्रेन दवाओं के असर को आखिरकार बेकार कर सकता है. वैज्ञानिकों ने युगांडा में प्रतिरोधी शक्ल के सबूत को पाया है और उन्होंने चिंताजनक बताया है. उनका कहना है कि मलेरिया के प्रसार की रोकथाम की और अधिक कार्रवाई बिना परजीवी बीमारी में इस्तेमाल की जानेवाली दवा बेअसर हो सकती है.
युगांडा में शोधकर्ताओं ने आर्टीमिसिनिन से इलाज किए गए मरीजों के ब्लड सैंपल का विश्लेषण किया. आर्टीमिसिनिन अफ्रीका में मलेरिया के लिए दूसरी दवाओं को मिलाकर इस्तेमाल की जानेवाली प्रमुख दवा है. उन्होंने पाया कि 2019 तक सैंपल के 20 फीसद में जेनेटिक बदलाव आए, जो संकेत करता है कि इलाज अप्रभावी था. लैब में जांच के दौरान पता चला कि उससे मलेरिया का कारण बननेवाले परजीवियों से छुटकारा पाने के लिए उन मरीजों को अधिक समय लगा.
युगांडा में मलेरिया के स्ट्रेन की खोज
रिसर्च के मुताबिक कहीं और से आने के बजाए युगांडा में दवा प्रतिरोधी स्ट्रेन उभरा. शोधकर्ताओं ने तीन वर्षों से अधिक 240 ब्लड सैंपल का परीक्षण किया. मलेरिया की दवा के प्रतिरोधी शक्ल का पता पहले एशिया में लगाया जा चुका है, और स्वास्थ्य अधिकारी अफ्रीका में किसी भी संकेत को बेचैनी से देख रहे हैं. कुछ छिटपुट मलेरिया की दवा प्रतिरोधी स्ट्रेन का मामला पहले रवांडा में भी सामने आ चुका है. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में प्रकाशित शोधकर्ताओं ने लिखा, "हमारे नतीजे पूरे अफ्रीका में सीमा पार प्रसार के संभावित जोखिम फैक्टर को दिखाते हैं."
मलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है और हर साल 4 लाख मौत की वजह बनता है, मृतकों में ज्यादातर 5 साल से नीचे के बच्चे और प्रेगनेंट महिलाएं होती हैं. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सान फ्रांसिस्को में मेडिसीन के प्रोफेसर डॉक्टर फिलिप रोशेंथेल ने बताया कि रवांडा में पहले आए नतीजों के बाद युगांडा में नए नतीजे साबित करते हैं कि प्रतिरोध वास्तव में पैर जमा चुका है. फिलिप रोशेंथेल रिसर्च टीम में शामिल नहीं थे.
दवा के बेअसर होने की आशंका
उन्होंने बताया कि कंबोडिया में वर्षों पहले मलेरिया का दवा प्रतिरोधी स्ट्रेन सामने आ चुका है. उनका मानना है कि महाद्वीप में मलेरिया के लिए समान दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए. बैंकाक में महिडोल यूनिवर्सिटी के मेडिसीन प्रोफेसर डॉक्टर निकोलस व्हाईट ने सुझाव दिया कि मानक दृष्टिकोण के बजाए, जिसमें आर्टीमिसिनिन के साथ एक या दो दवाओं का इस्तेमाल कराया जाता है, डॉक्टरों को अब तीनों इस्तेमाल करना चाहिए जैसा कि अक्सर ट्यूबरक्लोसिस और एचआईवी संक्रमण के इलाज में किया जाता है.
उन्होंने कहा, "हमें कुछ करने के लिए आग जलने तक इंतजार नहीं करना चाहिए." उन्होंने मलेरिया की दवा के प्रतिरोध को रोकने के लिए तेजी से काम किए जाने की जरूरत बताई और कहा कि नई दवाओं की खोज और सर्विलांस के साथ दूसरे उपाय किए जाने चाहिए. उन्होंने कोरोना वायरस महामारी को रोक पाने में विफलता का उदाहरण दिया.
Eye Care Tips: बहुत देर होने से पहले हो जाएं सावधान, धुंधला दिखाई देने के पहचान लें ये संकेत
कोरोना संक्रमण के बाद ब्रेस्ट मिल्क में मिली एंटीबॉडीज रह सकती है 10 महीने, रिसर्च में खुलासा
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )