साउथ इंडियन सिनेमा के मशहूर विलेन एक्टर मोहन राज का निधन हो गया है. यह 70 साल के थे. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोहन काफी वक्त से पार्किंसंस जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं थे. उनका इस बीमारी का घर पर ही इलाज चल रहा था. दरअसल ,पार्किंसंस जैसी गंभीर बीमारी दिमाग पूरी तरह से कमजोर होने लगता है. जिसके कारण सोचने-समझने की शक्ति एकदम खत्म हो जाती है. यह बीमारी इतनी ज्यादा खतरनाक होती है कि इंसान को यह अंदर से खोखला कर देता है. बढ़ती उम्र में अक्सर यह बीमारी हो जाती है. आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानें. 


पार्किंसन की बीमारी में डोपामाइन केमिकल की कमी होने लगती है


60 साल की उम्र के बाद यह बीमारी अक्सर शुरू हो जाती है. हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को यह बीमारी ज्यादा होती है. यह एक दिमाग से जुड़ी बीमारी है. इस बीमारी में डोपामाइन नाम का केमिकल की शरीर में कमी होने लगती है. जिसके कारण शरीर में एक्टिविटीज स्लो होने लगते हैं. इसके साथ ही शरीर में कंपन होने लगता है. यह बीमारी डिमेंशिया और डिप्रेशन से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. 


पार्किंसंस बीमारी के शुरुआती लक्षण 


मांसपेशियों में लगातार कंपन होना


शरीर के अंगों को हिलाने में दिक्कत होना


शरीर में बैलेंस नहीं मिलना


आंखों को झपकाने में दिक्कत होना


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ऐंठन होना


मुंह से लार टपकना


निगलने में परेशानी होना


आवाज का धीमा होना


कौन-कौन से इलाज हैं


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गंभीर मामलों में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (मस्तिष्क के एक हिस्से में वाइबरेशना पहुंचाने का काम किया जाता है) सर्जरी भी की जा सकती है. दवाओं में डोपामाइन, डोपामाइन जैसा असर करने वाली दवाएं, शरीर में डोपामाइन के टूटने को रोकने वाली दवाएं दी जा सकती हैं.


कैसे होता है पार्किंसन की बीमारी


पार्किंसन बीमारी होने के कई कारण हो सकते हैं. इसके जेनेटिक कारण भी हो सकते हैं. डोपामाइ की कमी, एनवायरमेंटल इंपैक्ट, बैलेंस डाइट नहीं लेना आदि. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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