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मनोहर पर्रिकर की मौत की वजह बना पैंक्रियाटिक कैंसर, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, गोवा के मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का 17 मार्च की शाम पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण निधन हो गया. 63 साल के मनोहर काफी लंबे समय से इस कैंसर से जूझ रहे थे. ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं पैंक्रियाटिक कैंसर क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है.

पैंक्रियाटिक कैंसर -

  • पैंक्रियाटिक कैंसर को अग्न्याशय कैंसर भी कहा जाता है. पैंक्रियाज हमारे शरीर का अभिन्न अंग हैं. इनमें आई कोई भी खराबी जान जाने का कारण बन सकती है.
  • पैंक्रियाज में कैंसरयुक्त सेल्स के कारण इस कैंसर की शुरूआत होती है. जब पैंक्रियाज के सेल्स बहुत तेजी से बनने लगते हैं तो ये अनियंत्रित कोशिकाएं घातक ट्यूमर बनाती हैं. जो ब्लड वैसल्स के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित करता है जिससे कई मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाते हैं और जान का भी जोखिम रहता है.
  • पैंक्रियाटिक कैंसर को साइलेंट किलर या मूक कैंसर भी कहा जाता है. दरअसल, इस कैंसर के लक्षण एकदम सामने नहीं आते हैं. जब तक इस कैंसर के लक्षणों का पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
  • आमतौर पर ये 60 से अधिक उम्र के लोगों को होती है. महिलाओं के मुकाबले ये बीमारी पुरुषों को अधिक होती है.

पैंक्रियाज का काम-

  • पैंक्रियाज में खराबी आने पर सबसे पहला असर पाचन तंत्र पर पड़ता है. इसके कारण डायबिटीज तक हो सकती है.
  • पैंक्रियाज खाने को ऊर्जा में बदलने का काम करता है. यदि इनमें खराबी आ जाएं तो शरीर को ठीक से ऊर्जा नहीं मिलती.
  • फूड को पचाने के साथ ही पैंक्रियाज फूड में मौजूद जरूरी तत्वों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट शरीर को आवश्यक तत्व देने में मदद करता है.
  • पैंक्रियाज ऐसे हार्मोंस का रिसाव करता है जो खाने को आसानी से पचाने में मदद करते हैं.
  • ये ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है.

पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण- पैंक्रियाटिक कैंसर होने का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान, मोटापा, डायबिटीज रेड मीट, वसायुक्त डायट और लंबे समय तक बैठे रहना. हालांकि ये अनुवांशिक भी हो सकता है.

पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण- पैंक्रियाटिक कैंसर के कुछ ऐसे लक्षण है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. यदि ये लक्षण लंबे समय तक हो तो जरूर जांच करवानी चाहिए. जैसे-

पेट और पीठ में दर्द बने रहना, वजन कम होना, पाचन संबंधी समस्या, बार-बार बुखार आना, पीलिया, हाई ब्लड शुगर, भूख न लगना, जी मिलचाना, उल्टियां आना, कमजोरी महसूस होना, स्किन, आंख और यूरिन का रंग पीला हो जाना.

पैंक्रियाटिक कैंसर से बचाव-

  • यदि आप रेगुलर चेकअप करवाते हैं तो कैंसर के लक्षणों का पता लगता सकते हैं.
  • अच्छी डायट जैसे ताजे फल और सब्जियां खाने से ऐस गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं.
  • वसायुक्त‍ खाना और रेड मीट जैसी चीजें ना खाएं.
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें.
  • डायबिटीज है तो उसका सही तरीके से इलाज करवाएं.

पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज- कैंसर के दौरान होने वाला ट्रीटमेंट जैसे सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का इस्तेमाल पैंक्रियाटिक कैंसर के इलाज में भी किया जाता है.

इस दौरान मरीज को कुछ चीजें अपनी डायट में शामिल करने जैसे ग्रीन टी, एलोवेरा, फल, ताजी सब्जियां, ब्रोकली और अंकुरित शामिल करने से फायदा होता है.

ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.

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