Maternal Mortality: यहां मातृ मृत्यु दर अपने चरम पर है... हर दो मिनट में दम तोड़ रही एक महिला
मातृ मृत्यु दर किसी भी देश में महिला के स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मुददा होता है. इस मामले में अमेरिका की स्थिति ठीक नहीं है. भारत में मातृ मृत्युदर तेजी से घटी है. इसे नीचे लाने का प्रयास जारी है.
Maternal Mortality Rate: महिलाओं के स्वास्थ्य देखनभाल की जिम्मेदारी हर सरकार की कोशिश होती है. केंद्र और राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती हैं कि महिलाओं को कोई तकलीफ न होने पाए. प्रेग्नेंट लेडीज है तो विशेष तौर पर सावधानी बरती जाती है. भारत के अलावा दुनिया के अन्य देश भी मातृ मृत्यु दर को लेकर फिक्रमंद रहते हैं. अब अमेरिका में मातृ मृत्युदर को लेकर भयानक आंकड़ें सामने आए हैं. हाल में अमेरिका में इस मृत्युदर को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है. इसे जानना हर किसी के लिए जरूरी है.
वर्ष 2021 में सबसे अधिक मृत्यु
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र की एक हालिया रिपोर्ट सामने आई है. इसमें सामने आया है कि अमेरिका में साल 2021 में सबसे अधिक मातृ मृत्यु हुई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्लैक महिलाओं की मृत्यु दर व्हाइट महिलाओं के मुकाबले दो गुनी है.
ये है आंकड़ा
नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स ने आंकड़ों में बताया है कि अमेरिका में प्रेग्नेंसी के दौरान या शिशु को जन्म देने के बाद वर्ष 2021 में कुल 1,205 महिलाओं की मृत्यु हुई. वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 861 और 2019 में 754 रहा. हाई इनकम वाले देशों में अमेरिकी मातृ मृत्यु दर सबसे अधिक दर्ज की गई है. यह संख्या वर्ष 2021 में 1960 के दशक के मध्य से सबसे अधिक दर्ज की गई. व्हाइट हाउस के अधिकारियों का कहना है कि यह एक सच है और इसे स्वीकार किया जाना चाहिए. यह देश में एक संकट की तरह है.
हर दो मिनट में एक महिला की मौत
संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में एक बयान में बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद होने वाली समस्याओं के कारण हर दो मिनट में एक महिला दम तोड़ रह है. यह एक बड़ा संकट है. अमेरिका के आंकड़ें भी चिंता करने वाले हैं. अमेरिका में ब्लैक महिलाओं की मृत्युदर भी एक चिंता का विषय बनी हुई है.
ये है भारत की स्थिति
भारत में मातृ मृत्युदर (एमएमआर) को प्रति एक लाख माताओं में से होने वाली मौतों को मातृ मृत्यु दर के रूप में मापा जाता है. भारत में नेशनल लेवल पर यह 97 है, जबकि असम में 197, केरल मेें 19, उत्तरप्रदेश में 167, मध्यप्रदेश में 173 और बिहार में 118 है. केंद्र सरकार इसे 70 से नीचे लाने में जुटी हुई
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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