नई दिल्लीः राज्यसभा और लोकसभा में 26 सप्ताह तक की मैटरनिटी लीव का बिल पास हो चुका है. नये कानून के तहत महिला कर्मचारियों को अब 12 हफ्ते की बजाए 26 हफ्ते का वेतन के साथ अवकाश मिलेगा. महिला कर्मचारियों के फायदे के लिए 55 वर्ष पुराने कानून के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया गया है. इसके साथ ही ये कानून तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेने और सरोगेसी के जरिए मां बनने वाली महिला को 12 हफ्ते की मैटरनिटी लीव देता है.
बिल तो पास हो गया है लेकिन इसके साथ ही ये भी जानना जरूरी है कि आखिर क्यों 6 महीने तक मैटरनिटी लीव जरूरी होती है.इस संबंध में एबीपी न्यूज़ ने एक्सपर्ट से बात की.
- गंगाराम हॉस्पिटल की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. आभा का कहना है कि ये तो सभी जानते हैं कि 6 महीने तक नवजात के लिए मां का दूध ही उसका फूड होता है.
- ब्रेस्ट फीडिंग सबसे बड़ा कारण है कि मां को 6 महीने के लिए लीव चाहिए. अगर बच्चे को मां का फीड नहीं मिलेगा तो बच्चे का ठीक से डवलपमेंट नहीं हो पाएगा. बच्चे की सेहत के लिए फीड बहुत जरूरी है.
- इसके अलावा मां और बच्चे के बीच की बॉन्डिंग भी उसी दौरान अधिक होती है, जो बहुत जरूरी है.
- मां से ज्यादा बच्चे की केयर उस तरह से कोई नहीं कर सकता.
- बच्चे और मां की हाइजिन के लिए भी मैटरनिटी लीव जरूरी होती है.
- मां को रिकवर करने के लिए भी मैटरनिटी लीव की जरूरत होती है.
- डेढ़ से दो महीने में जाकर महिला के यूट्रस का साइज नॉर्मल होता है.
- महिलाओं को अपनी मसल्स को स्ट्रेंथ देनी होती है.
- डिलीवरी के बाद रोजाना एक्सरसाइज महिलाओं के लिए बहुत जरूरी होती है.
- मसल टोन बढ़ाना महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है. ताकि पूरी लाइफ उन्हें बैक पेन ना हो. लोअर एबडोमिनल पेन ना हो.
- डॉ. कहती हैं कि मां के 6 महीने बहुत इंपोर्टेंट होते हैं. सेरोगेट मदर बेशक फीड नहीं करवाती लेकिन बच्चे का ख्याल जैसे मां रख सकती हैं वैसे कोई क्रेच या दूसरा व्यक्ति नहीं रख सकता. मां जैसा डेडिकेशन और कोई नहीं दिखा सकता. यूरोपियन कंट्री में 9 महीने की मैटरनिटी लीव होती है.
- मैक्स हॉस्पिटल की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. कनिका गुप्ता का कहना है कि न्यू बोर्न बेबी की ब्रेस्ट फीडिंग रिक्वायरमेंट होती है. मां और बच्चे की बॉन्डिंग भी इसी दौरान होती है क्योंकि ये भी न्यू् बोर्न बेबी की रिक्वायरमेंट होती है. बच्चे को हाइजिन से बचाना, उसकी ज्यादा केयर सिर्फ मां ही दे सकती है.