नयी दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम और इंडियन एकेडेमी ऑफ पेडियाट्रिक्स के साथ मिलकर आज फीटल वायबिलिटी (भ्रूणीय व्यावहारिकता) पर दिशानिर्देश जारी किये. दिल्ली में मैक्स अस्पताल में समयपूर्व जन्मे नवजात को गलत तरह से मृत घोषित किये जाने के मामले की पृष्ठभूमि में ये दिशानिर्देश जारी किये गये हैं.




  • गर्भ धारण करने के 20 सप्ताह से भी कम समय में भ्रूण को निकालना गर्भपात होगा.

  • गर्भ धारण करने के 20 से 24 सप्ताहों के बीच बच्चे का जन्म होना व्यावहारिक नहीं हो सकता.

  • 24 से 28 सप्ताह के बीच जन्म के बाद नवजात के जीवित रहने की संभावना बहुत कम होती है और मामले के आधार पर फैसला लिया जाना चाहिए.

  • 28 सप्ताह के बाद बच्चे का जन्म हो जाने पर उसे जीवित रखने के समस्त प्रयास करने चाहिए.


आईएमए के अध्यक्ष के.के.अग्रवाल ने कहा कि यहां वायबिलिटी को इस तरह से परिभाषित किया गया है कि बच्चे का जन्म गर्भ धारण करने के 28 सप्ताह के बाद हुआ हो और उसका वजन 1000 ग्राम से ज्यादा हो. इससे कम कुछ भी होने पर इलाज का स्तर मामला दर मामला के आधार पर किया जाएगा.