50 साल के इंग्लैंड के रहने वाले व्यक्ति रिक ने बर्मिंगम विश्वविद्यालय में मल ट्रांसप्लांट कराया है. अब आपके दिमाग में सवाल आएगा कि आखिर ये MAL क्या है? दरअसल, MAL( Median arcuate ligament) होता है. इसका प्रमुख उद्देश्य था प्राइमरी स्केलेरोसिंग कोलेंजाइटिस (पीएससी) नाम की गंभीर लिवर की बीमारी को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता. जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा इसमें सिर्फ MAL का टुकड़ा नहीं बल्कि इसका लैब में अच्छे से जांच किया जाता है.


यह बीमारी से ब्रिटेन 6-7 लोग पीड़ित थे


ब्रिटेन में रह रहे रिक की इस गंभीर बीमारी का एक ही इलाज था लिवर ट्रांसप्लांट. इसके अलावा कोई इलाज नहीं है. यह इतनी ज्यादा गंभीर बीमारी है कि इंग्लैंड में 6-7 लोगों को यह बीमारी काफी ज्यादा प्रभावित करती है. 8 साल पहले 42 साल के रिक को इस गंभीर लिवर की बीमारी का पता चला है.


माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांट (एफएमटी)


जब रिक को इस बीमारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं इस बीमारी को लेकर काफी चिंतित था. जब मुझे इस बीमारी का पता चला तो ऐसा लगा कि मैं किसी पहाड़ से गिर गया. फे़कल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांट (एफएमटी) को मल ट्रांसप्लांट के नाम से भी जाना जाता था. यह अक्सर पेट की बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल क्लिनिकल ट्रायल किया जाता है. 


दरअसल, इस जांच में मल के नमूनों को लिया जाता है. उसके टेस्ट के जरिए आंत में कितनी बैक्टीरिया है इसका पता लगाया जाता है. इस बीमारी में आंतों में ट्रांसप्लांट किया जाता है. मल ट्रांसप्लामट के लिए कोलोनोस्कोपी, एनीमा या नासोगैस्ट्रिक ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है. 


'नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (एनआईसीई)' के मुताबिक ब्रिटेन में इस इलाज को काफी ज्यादा बढ़ावा दिया जा रहा है. क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल (सी. डिफ) के गंभीर संक्रमण से पीड़ित मरीज़ ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में इलाज कर सकते हैं. 


क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल (सी. डिफ) गंभीर इंफेक्शन


क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल एक खतरनाक बैक्टीरिया होता है. इसके कारण पेट खराब हो सकता है. यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों को होती है जो काफी लंबे समय से एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करते हैं. एनएचएस को एक 50 मिलीलीटर एफ़एमटी के सैंपल की लागत 1684 डॉलर का खर्च पड़ता है. विशेषज्ञों के मुताबिक जो व्यक्ति बार-बार एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करते हैं.उन्हें इस तरह के इलाज की जरूरत पड़ती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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