नई दिल्ली: हर तीन में से एक महिला को हृदय संबंधी कोई न कोई रोग होता है. खासकर मीनोपोज़ के बाद हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है. एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि महिलाओं में मीनोपोज़ के 10 साल बाद दिल का दौरा पड़ने के मामलों में वृद्धि हो सकती है. जानिए, क्या कहती है ये रिसर्च.


क्या कहती है रिसर्च-
रिसर्च के मुताबिक, महिलाओं में मीनोपोज़ को अन्य स्वास्थ्य प्रभावों के साथ जोड़कर देखा जाता है, जिसमें हॉट फ्लेशेज और डिप्रेशन से लेकर वस्कुलर एजिंग तक शामिल होती है, जिसे आम तौर पर धमनियों की कठोरता और एंडोथेलियल डिस्फंक्शन के रूप में देखा जाता है. ऐसे समय में जब एस्ट्रोजन का स्तर ऊपर-नीचे होता है, तब महिलाओं के विविध पैरामीटर्स की मॉनीटरिंग जरूरी हो जाती है.


क्या कहते हैं डॉक्टर-
इस शोध की चर्चा करते हुए हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि एस्ट्रोजेन हार्मोन किसी महिला के शरीर के विभिन्न हिस्सों की रक्षा करने में मदद करता है. मीनोपोज़ से पहले एस्ट्रोजन का स्तर कम होना माइक्रोवस्कुलर रोग का जोखिम पैदा करता है. महिलाओं को अक्सर सीने में दर्द या असुविधा महसूस हो सकती है, लेकिन यह प्रमुख लक्षण नहीं हो सकता.


होते हैं अलग-अलग लक्षण-
हर महिला में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. कुछ महिलाओं को मीनोपोज़ के दौरान अपने दिल की धड़कन बढ़ने का अहसास होता है. ऐसे मामलों में किसी भी आशंका को खत्म करने के लिए जल्द से जल्द जांच कराना महत्वपूर्ण होता है.


ये हैं लक्षण-
सीने में दर्द, दबाव या असुविधा के अलावा महिलाओं में हार्टअटैक के संकेतों और लक्षणों में प्रमुख हैं- गर्दन, कंधे, ऊपरी पीठ या पेट में जकड़न, सांस की तकलीफ, मतली या उल्टी, पसीना, हल्कापन या चक्कर आना और असामान्य थकान.


अपनाएं ये उपाय-
महिलाओं को अपने हार्ट को तंदुरुस्त रखने के लिए नियमित व्यायाम और वसा रहित पौष्टिक आहार लेना चाहिए. इसके अलावा धूम्रपान जैसी अनहेल्दी आदतें छोड़ देनी चाहिए. धूम्रपान करने से जो नुकसान होते हैं उनमें जल्दी मीनोपोज़, ब्ल़ड क्लोटिंग, आर्टरी के लचीलेपन में कमी और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर में गिरावट प्रमुख हैं.


मीनोपोज़ होने पर महिलाएं अपनाएं ये टिप्स :




  • सप्ताह के ज्यादातर दिनों में कम से कम 30 मिनट के लिए शारीरिक गतिविधि और वजन संतुलन के लिए 60 से 90 मिनट तक व्यांयाम करें.

  • धूम्रपान से बचें और सुबह-शाम टहलें.

  • नियमित व्यायाम करें, ताकि कमर का साइज 30 इंच से कम रहे.

  • दिल के अनुकूल आहार लें. आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल करें.

  • ब्लड शुगर, खराब एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और बीपी को नियंत्रण में रखें.

  • 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं, डॉक्टर से परामर्श लेकर प्रतिदिन एस्पिरिन ले सकती हैं.

  • धूम्रपान करने वाली महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियां लेने से बचना चाहिए.

  • अगर किसी कारण डिप्रेशन से ग्रस्त हैं, तो उसका इलाज करवाएं.


ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.