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समय से पहले हड्डियों की जांच बचा सकती है फ्रैक्चर से!

न्यूयार्क: महिलाओं में हड्डियों की कमजोरी का यदि 30 साल की उम्र से पहले ही पता लगा लिया जाए तो फ्रैक्चर की समस्या से बचा जा सकता है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि एक रिसर्च में बात सामने आई है.
क्या कहती है रिसर्च-
रिसर्च के मुताबिक, मीनोपोज के दौरान या 30 उम्र तक हड्डियों की कमजोरी सामने आ जाए तो फ्रैक्चर से महिलाओं को बचाया जा सकता है. बोन फ्रैजिलिटी (हड्डियों की कमजोरी) एक गंभीर स्थिति है, जो महिलाओं को बढ़ती उम्र के साथ प्रभावित करती है. इसके कारण हड्डियों की डेन्सिटी कम हो जाती है.
बोन फ्रैजिलिटी रोग-
फिलहाल में इस रोग की पहचान 65 साल के आसपास की जाती है और तब तक शरीर हड्डियों की डेन्सिटी और ताकत खो चुका होता है.अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कार्ल जेप्सन ने बताया कि हड्डियों की कमजोरी को एक गंभीर रोग माना गया है.
रिसर्च के नतीजे-
शोध के नतीजों से पता चला कि मीनापोज के दौरान कुछ महिलाओं के हिप्स की बोन्स की ताकत बढ़ी जबकि कुछ महिलाओं की कम हुई.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
जेप्सन ने कहा कि इस रिसर्च से पहली बार यह सामने आया है कि हम मीनोपोज के दौरान निजी तौर पर महिलाओं की हड्डियों में हो रहे परिवर्तनों की जांच कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि हड्डियां लगातार खुद की मरम्मत करती रहती हैं लेकिन उम्र के साथ और मीनोपोज के दौरान हड्डियों की ताकत काफी कम हो जाती है.
उन्होंने बताया कि इस शोध ने हमें यह भी समझने में मदद की है कि यह प्रक्रिया किस तरह से महिलाओं के बीच अलग हो सकती है.
इस शोध को 'जर्नल ऑफ बोन एंड मिनरल रिसर्च' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.
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