स्वस्थ मासिक धर्म कितने समय तक रहता है? क्या पीएमएस सही में होता है? मासिक धर्म से जुड़ी कई ऐसी मिथक और कल्पनाएं हैं जो कई लोगों के दिमाग में घर कर जाती हैं. इसलिए, उन्हें तुरंत ठीक करना ज़रूरी है. लोगों को यह जानना ज़रूरी है कि मासिक धर्म का खून अशुद्ध नहीं होता. शरीर के किसी भी दूसरे हिस्से से निकलने वाले खून की तरह, यह खून भी सड़ने लगता है और इस तरह बदबू पैदा करता है.
पीरियड्स के दौरान नमी की वजह से महिलाओं को मूत्र मार्ग में संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा होता है. भारतीय समाज में ऐसी मानसिकता है कि मासिक धर्म का खून गंदा होता है. मासिक धर्म का खून हमारे शरीर के दूसरे खून की तरह ही गंदा नहीं होता. पीरियड्स वाले ब्लड नॉर्मल ब्लड की तरह होते हैं. वे कोई बीमारी नहीं हैं.
पीरियड्स के ब्लड को अक्सर शरीर का गंदा ब्लड कहा जाता है. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा कुछ नहीं है. आपके शरीर के बाकी सब ब्लड की तरह ही यह ब्लड है. यह ब्लड आपकी ओवरी की परत पर बनते हैं. और फिर जब वह 28 दिन में बन जाता है तो फिर टूटकर निकल जाता है. कुछ परंपराओं ने पीरियडट को अशुद्ध बनाया है. मासिक धर्म वाली महिलाओं को 'पीरियड हट्स' में अलग रखने जैसी प्रथाओं को बढ़ावा दिया जाता है. पीरियड तो एक महिला की फर्टिलिटी साइकिल बताता है साथ ही साथ अगर किसी महिला को समय पर पीरियड आ रही है तो इसका साफ मतलब है कि वह स्वस्थ है.
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पुराने जमाने में आखिर क्यों इस तरह के नियम बनाए गए होंगे तो हमने रिसर्च में पाया कि पीरियड्स के दौरान महिला को किसी भी तरह के इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति में बीमारियों और इंफेक्शन से बचाने के लिए महिलाओं को किचन में जाने नहीं दिया जाता था. ताकि उन्हें इंफेक्शन और बीमारी से बचाया जा सके.
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वहीं कुछ रिसर्च ऐसे भी सामने आए है जिसमें कहा गया कि महिलाओं को वो 5 दिन अच्छे से आराम देने के लिए ऐसे नियम बनाए गए थे ताकि उस दौरान आराम करें. साथ ही आचार के छूने से इसलिए मना किया जाता है क्योंकि उस दौरान आचार डालना एक बहुत बड़ा इवेंट होता है. आसपास की औरतें आपस में मिलकर आचार डालती थीं.