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जानें क्यों बात करते समय नजर नहीं मिला पाते कुछ लोग, ये कोई डर है या बीमारी ?
आई कॉन्टैक्ट डिसऑर्डर को ophthalmophobia कहा जाता है. इस फोबिया के शिकार लोग आंखें मिलाकर बात नहीं कर पाते हैं. कभी-कभी ऐसा होना नॉर्मल होता है लेकिन अक्सर ऐसा होना डिसऑर्डर है.
Eye Contact Anxiety : क्या आप भी किसी की आंखों में आंखे डालकर बात नहीं कर पाते हैं? किसी से बात करते समय आंखें चुराते हैं? अगर हां तो आप आई कॉन्टैक्ट एंग्जाइटी डिसऑर्डर (Eye Contact Anxiety) की चपेट में हैं. आई कॉन्टैक्ट डिसऑर्डर को ophthalmophobia कहा जाता है. इस फोबिया के शिकार लोग आंखें मिलाकर बात नहीं कर पाते हैं. कभी-कभी ऐसा होना नॉर्मल होता है लेकिन अक्सर ऐसा होना डिसऑर्डर है. यह एक तरह की मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या है. जिसमें अपनी भावनाएं बताने में भी इंसान डरता है.
आई कॉन्टेक्ट एंग्जाइटी के क्या-क्या लक्षण हैं
अपनी फीलिंग्स न एक्सप्रेस कर पाना
ऐसे लोग किसी से भी अपनी भावनाएं शेयर नहीं कर पाते हैं. जिससे उन्हें काफी निराशा और अकेलापन महसूस होता है. इसका उनकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है.
खुद को लेकर अलर्ट रहना
आई कॉन्टैक्ट एंग्जाइटी से पीड़ित लोग दूसरों से बात करते समय यही सोचते रहते हैं कि कहीं सामने वाला उन्हें जज तो नहीं कर रहा है. वह इंसान भले ही किसी दूसरे से बात करता रहता है लेकिन उसका पूरा फोकस अपने ऊपर ही रहता है.
समाज से दूर रहना
आई कॉन्टैक्ट एंग्जाइटी से पीड़ित लोग समाज से कटे-कटे रहते हैं. उन्हें अकेला रहना ही ठीक लगता है. उन्हें लगता है कि समाज में जाने पर लोग उन्हें जज करेंगे. इसलिए वे लोगों से दूर रहते हैं.
टालने की आदत
आई कॉन्टैक्ट एंग्जाइटी वाले लोग जब भी किसी से बात करते हैं तो आंखें मिलाने की बजाय, इधर-उधर या नीचे देखते रहते हैं. उनमें बातें टालने की आदत होती है.
फिजिकल लक्षण
आई कॉन्टैक्ट की चपेट में आए व्यक्ति की धड़कने तेज होती है, पसीना आता है और उसका शरीर कांपने लगता है. इस दौरान उसका मुंह सूख जाता है. इतना ही नहीं उसे पैनिक अटैक आने का भी खतरा हो सकता है.
आई कॉन्टैक्ट एंग्जाइटी से बचने 4 उपाय
1. परिवार और दोस्तों को साथ जितना हो सके वक्त बिताएं, अपनी फीलिंग्स शेयर करें.
2. दिमाग को शांत और एक्टिव बनाए रखने के लिए गहरी सांस लेने वाले एक्सरसाइज और मेडिटेशन करें.
3. किसी प्रोफेशनल थेरेपिस्ट से CBT थेरेपी लें.
4. जितना संभव हो सके उतना सोशल एक्टिविटीज में जाएं. लोगों से मिलने जुलने से आपके अंदर का डर खत्म होगा.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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