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कहीं आप भी गेट पर ताला लगाकर बार-बार चेक तो नहीं करते, हो जाएं सावधान, ये मानसिक बीमारी है
ओसीडी की बीमारी ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर्स की गड़बड़ी के कारण होती है. इस बीमारी के शिकार मरीज में ऑब्सेसन और कंपल्शन देखने को मिलता है. ऑब्सेशन में बार-बार निगेटिव विचार आते हैं.इसका इलाज संभव है.
Mental Health : क्या आप हर चीज को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. क्या घर का ताला लगाकर बार-बार चेक करते हैं कि वो लॉक है या नहीं, या गाड़ी का लॉक लगाकर उसे बार-बार चेक कर कंफर्म करते रहते हैं. अगर आपका जवाब हां में हैं तो सावधान हो जाना चाहिए. क्योंकि ये मानसिक बीमारी के लक्षण हो सकते हैं. इस बीमारी का नाम ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) है. ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर्स का बैलेंस बिगड़ने के चलते ये बीमारी होती है. हर 100 में से 2 लोग कभी न कभी अपनी लाइफ में इस बीमारी का सामना करते हैं. ओसीडी का असर आपकी जिंदगी पर बड़ सकता है. इसलिए इसका इलाज जल्द से जल्द करवाना चाहिए.
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर क्या है
मानसिक रोग विशेषज्ञ के मुताबिक, ओसीडी की बीमारी ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर्स की गड़बड़ी के कारण होती है. इस बीमारी के शिकार मरीज में ऑब्सेसन और कंपल्शन देखने को मिलता है. ऑब्सेशन में बार-बार निगेटिव विचार आते हैं. कुछ खोने का डर, चोट लगने जैसी चिंता होती है. वहीं, कंपल्शन में किसी काम काम को बार-बार करने का मन करता है. ज्यादा चिंता करने से भी ऐसा हो सकता है.
OCD का खतरा सबसे ज्यादा किसे
डॉक्टर के अनुसार, ओसीडी के मरीज किसी काम को कई-कई बार दोहराते हैं. कई मामलों में तो सालों साल तक मरीजों में ये समस्या देखी जाती है. हालांकि, इसकी जानकारी उसे नहीं होती है. इस बीमारी की चपेट में महिला और पुरुष दोनों आ सकते हैं. 15 साल के बाद इस बीमारी की समस्या ज्यादा देखने को मिली है. जरूरत से ज्यादा सोचने वालों में ये परेशानी ज्यादा देखने को मिलती है.
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर का असर
डॉक्टर बताते हैं कि ओसीडी का असर रोजाना की लाइफ पर पड़ता है. चूंकि, इस बीमारी से पीड़ित मरीज हर समय कुछ न कुछ सोचता रहता है. इसलिए उसके मन में चिंता बनी रहती है और उससे उसकी डेली रूटिन बिगड़ जाती है.
ओसीडी का इलाज
OCD का शिकार होने पर मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए. डॉक्टर दवाईयां देकर या थेरेपी से इसका इलाज करते हैं. अगर ये समस्या अभी-अभी शुरू हुई है तो उसे कंट्रोल करने पर फोकस करना चाहिए. मन में बार-बार आ रहे विचारों को कंट्रोल करना चाहिए. किसी बात का डर है तो करीबी लोगों से जरूर शेयर करें.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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