Alien Hand Syndrome : एलियन हैंड सिंड्रोम (AHS) एक ऐसा न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें आपका हाथ की 'दुश्मन' बन जाता है. अपने ही हाथ पर आपका कोई कंट्रोल नहीं रहता और वह अपना मर्जी से काम करता है. कल्पना कीजिए कि आप आराम कर रहे हैं तभी अचानक से ऐसा लगता है कि आपका गला किसी ने पकड़ लिया है और घोंट रहा है.


जैसे ही आपकी आंख खुलती है तो आपका हाथ ही ऐसा करता दिखता है. किसी तरह आप उस हाथ को छुड़ाते हैं. ऐसा ब्रेन के आगे वाले हिस्से यानी फ्रंटल लोब के नीचे वाले हिस्से के नुकसान होने  पर होता है. हालांकि, इस बीमारी के सटीक कारण का अब तक पता नहीं चल पाया है. कुछ कारणों से इसकी जानकारी लगती है.  आइए जानते हैं यह कितनी खतरनाक बीमारी है...


एलियन हैंड सिंड्रोम रेयर ऑफ रेयरेस्ट बीमारी
एलियन हैंड सिंड्रोम रेयर ऑफ रेयरेस्ट डिजीज है. 1908 से पूरी दुनिया में इसके 80 से कम केस ही आए हैं. इस डिसऑर्डर पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है, क्योंकि इसके लक्षणों को देखकर साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम्स समय लिया जाता है. 


एलियन हैंड सिंड्रोम के लक्षण
इस बीमारी में मरीज को पता ही नहीं होता है कि उसका हाथ क्या कर रहा है. उसके सो जाने पर हाथ अपना आप ही काम करना शुरू कर सकता है. कई बार इसकी वजह से शर्मनाक स्थितियों का सामना भी करना पड़ सकता है. इसकी वजह से स्ट्रेस, डिप्रेशन जैसी प्रॉब्लम्स भी शुरू हो सकती हैं.
 
एलियन हैंड सिंड्रोम का कारण


1. दिमाग की चोट
दिमाग में किसी तरह की चोट या सर्जरी एलियन हैंड सिंड्रोम (Alien Hand Syndrome) का कारण बन सकती है. ऐसा तब देखा जाता है जब फ्रंटल लोब या कॉर्पस कॉलोसम किसी तरह प्रभावित होता है. ये वे पार्ट हैं जो किसी काम को करने के लिए तंत्रिकाओं को नियंत्रित करते हैं.


2. ब्रेन ट्यूमर 
दिमाग पर दबाव डालने वाले ट्यूमर दाएं हाथ वाले इंसान में बाएं हाथ के अनकंट्रोल होने का कारण बन सकता है. ऐसा, इसलिए क्योंकि ब्रेन का दायां हिस्सा शरीर के बाएं हिस्से और बाया हिस्सा शरीर के दाएं हिस्से को कंट्रोल करता है. इसी वजह से ब्रेन ट्यूमर इसका कारण बन सकता है.


3. न्यूरोडीजेनेरेटिव कंडीशन
अल्जाइमर रोग, क्रेउत्ज़फेल्ड और जैकब जैसी बीमारियों में जल्दी-जल्दी भूलना या मन में तेजी से बदलाव जैसी कंडीशन से भी एलियन हैंड सिंड्रोम हो सकता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.